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सौम्या लक्ष्मी के भरतनाट्यम अरंगेत्रम से मुग्ध हुई दिल्ली

नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)| प्रख्यात नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन की शिष्या सौम्या लक्ष्मी ने शनिवार को भरतनाट्यम अरंगेत्रम पर अपनी प्रस्तुति से लोगों को मुग्ध कर दिया। चिन्मया मिशन ऑडिटोरियम में हुई इस विशेष प्रस्तुति को देखने के लिए बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित रहे। प्रतिष्ठित ओडिसी नृत्यांगना एवं गुरु पद्मश्री माधवी मुद्गल बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहीं।

सौम्या के आत्मविश्वास और श्रेष्ठ प्रस्तुति की उन्होंने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। गीता चंद्रन ने नट्टुवंगम, के. वेंकटेश्वरन ने वोकल, मनोहर बलातचंदीरेन ने मृदंग, जी. राघवेंद्र ने वायलिन और रजत प्रसन्ना ने बांसुरी वादक के रूप में सहयोगी कलाकार की भूमिका निभाते हुए प्रस्तुति को मनमोहक बनाया।

अरंगेत्रम किसी भरनाट्यम नृत्यांगना के जीवन का एक अहम मौका होता है, जिसके लिए कई साल के अथक प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। कई बार इसके लिए पारंगत होने में कुछ दशक का समय भी लग जाता है। जब गुरु को यह विश्वास हो जाता है कि अब शिष्य अकेले प्रस्तुति में सक्षम है, तभी अरंगेत्रम का एलान होता है।

मैथिली नारायणन और पीके नारायणन की पुत्री सौम्या लक्ष्मी ने अपने प्रदर्शन से अपनी गुरु नाट्य वृक्ष की संस्थापक, अध्यक्ष व गीता चंद्रन के उसी भरोसे को कायम रखा। उन्होंने सिद्ध किया कि उनकी गुरु का विश्वास और निर्णय कितना सही है। यह गुरु के लिए भी किसी सम्मान से कम नहीं होता। मदर्स इंटरनेशनल स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा सौम्या अपने स्कूल की कल्चरल सेक्रेटरी भी हैं।

सौम्या ने लगभग दो घंटे की प्रस्तुति में भरतनाट्यम की कई विधाओं से लोगों को मुग्ध किया। सौम्या ने ‘अलारिप्पु’ से शुरूआत करते हुए शुद्ध नृत्य विधा ‘जातीश्वरम’ का प्रदर्शन किया। इसके बाद 40 मिनट के ‘श्रृंगार वरनम’ पर सौम्या की प्रस्तुति ने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

गुरु गीता चंद्रन ने इस मौके पर कहा, किसी गुरु के लिए शिष्य की तरफ से यह सबसे बड़ा उपहार है। सौम्या ने जिस तरह से प्रदर्शन किया, उससे मैं बहुत खुश हूं। उसके कौशल, उसकी क्षमता और नृत्य में डूब जाने की कला ने मन मोह लिया।

छह साल की छोटी सी उम्र से ही नाट्य वृक्ष में प्रशिक्षण ले रही सौम्या लक्ष्मी ने भरतनाट्यम को अपने जीवन के 11 महत्वपूर्ण वर्ष समर्पित किए हैं। सौम्या को 2012 में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित कल्चरल टैलेंट सर्च स्कॉलरशिप (सीसीआरटी) दी गई थी।

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