एकेएफआई का चुनाव अवैध करार, कामकाज देखने के लिए प्रशासक नियुक्त
नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक अहम फैसला लेते हुए भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ (एकेएफआई) के चुनावों को अवैध करार दिया है। न्यायालय ने नए सिरे से एकेएफआई चुनाव कराने के आदेश दिए हैं और तब तक महासंघ का कामकाज देखने के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया है। न्यायालय ने एकेएफआई के आजीवन अध्यक्ष जनार्दन सिंह गहलोत और एकेएफआई की अध्यक्ष मृदुला भदोरिया के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। मृदुला गगलोत की पत्नी हैं और पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन गहलोत की महासंघ में इतनी चलती है कि उन्होंने अपने प्रभावों को दुरुपयोग करते हुए अपनी पत्नी को एकेएफआई का अध्यक्ष बना दिया। साथ ही गहलोत ने अपने बेटे को राजस्थान कबड्डी संघ का अध्यक्ष बना दिया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एकेएफआई के आजीवन अध्यक्ष गहलोत के साथ-साथ उनकी पत्नी मृदुला की नियुक्ति को अवैध करार कर दिया है। ऐसे में मृदुला का पद तत्काल प्रभाव से छीन लिया गया है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि एकेएफआई अध्यक्ष रहते हुए जितने भी लाभ (धन के रूप में) हासिल किए, उन्हें वापस करें।
यही नहीं, अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एकेएफआई के संविधान में हुए संशोधनों को भी अवैध करार करते हुए नए सिरे से चुनाव कराने को कहा है, जिसका संचालन भी नए प्रशासक द्वारा किया जाएगा। यह प्रशासक भारतीय प्रशासनिक सेवा से हैं।
याचिका पक्ष के वकील भारत नागर ने कहा, एकेएफआई के खिलाफ साल 2013 में पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी महिपाल सिंह ने अपील दायर की थी। अभी इस मामले में यह फैसला सुनाया गया है। हालांकि, इस मामले में हमारी एक ओर अपील लंबित है। उसमें में और भी जांच की मांग की गई है। यह मामला पैसे लेकर खिलाड़ियों को अवैध तरीके से फर्जी सर्टिफिकेट देने का है। इसकी बदौलत हजारों खिलाड़ी गलत तरीके से अपने-अपने राज्यों में सरकारी नौकरी कर रहे हैं।