संसद के इसी सत्र में पेश होगा एससी/एसटी संशोधन अधिनियम विधेयक : राजनाथ
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार रोकथाम अधिनियम में संशोधन करने वाले विधेयक को बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी और इसे संसद के जारी सत्र में विचार एवं स्वीकृति के लिए पेश किया जाएगा।
लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस महत्वपूर्ण मामले में अध्यादेश का रास्ता क्यों नहीं अपनाया गया, जबकि सरकार कई अन्य विधेयकों में छह अध्यादेश ला चुकी है।
राजनाथ ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा, मुझे नहीं पता कि अब क्यों सदस्य यह मुद्दा उठा रहे हैं। मुझे लगता है कि वे जागरूक हैं और उन्हें पता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार रोकथाम संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है।
उन्होंने कहा कि पूरा देश जानता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश से एससी/एसटी अधिनियम को हल्का कर दिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि अधिनियम के दायरे में आने वाले लोगों के खिलाफ अत्याचारों को रोकने के लिए एससी/एसटी अधिनियम के तहत भी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले उसके खिलाफ प्रारंभिक जांच की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर अधिनियम को किसी तरह से हल्का किया जाता है तो हम विधेयक लाएंगे। इसमें किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं है, उन्होंने (मोदी) यह वादा किया था।
राजनाथ ने कहा, हम संसद के इसी सत्र में विधेयक को पेश करेंगे ताकि कानून बनाया जा सके।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुए खड़गे ने कहा, चार महीने बीत चुके हैं लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करने के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश एससी/एसटी अधिनियम को हल्का करता है। वे छह अध्यादेश ला चुके हैं लेकिन इस महत्वपूर्ण मामले में क्यों अध्यादेश नहीं लाया गया।
खड़गे ने कहा, देश में एससी/एसटी के साथ अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं। कल विधेयक लाएं और हम उसे पारित करेंगे।
उन्होंने कहा, सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। आप प्रत्येक छोटे मुद्दों के लिए अध्यादेश ला सकते हैं तो इस मुद्दे के लिए अध्यादेश क्यों नहीं।
गृह मंत्री की यह टिप्पणी एससी/एसटी अधिनियम के प्रावधान को बहाल करने के फैसले के एक दिन बाद आई है। इस फैसले से आरोपी व्यक्ति को बिना प्रारंभिक जांच या प्रारंभिक मंजूरी के गिरफ्तार किया जा सकेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने इसी प्रावधान पर आपत्ति जताई थी।