IANS

अमेरिकी सीनेट में पास विधेयक से भारत को राहत

वाशिंगटन, 2 अगस्त (आईएएनएस)| अमेरिकी सीनेट ने एक विधेयक पारित किया है, जो भारत को रूसी कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंधों से आंशिक छूट देता है। इस छूट का लाभ उठाते हुए भारत रूस निर्मित हथियार खरीद सकता है। इस फैसले को ऐतिहासिक और भारत के लिए बड़ी राजनयिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

रक्षा व्यय विधेयक, जो कानून बनने से पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास जाएगा, इसमें भारत के साथ रक्षा साझेदारी को मजबूत और बढ़ाने की भी मांग की गई है। यह पिछले सप्ताह सदन द्वारा पारित किया गया था।

नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट बुधवार को द्विपक्षीय समर्थन के साथ पारित किया गया। इसे सीनेट में 87-10 और सदन में 359-54 मतों से जीत मिली।

रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने एक बयान में कहा, यह विधेयक हमारी सेना के पुनर्निर्माण के लिए हमें 71.7 अरब डॉलर के रक्षा बजट के लिए अधिकृत करता है और हमारे गठजोड़, भागीदारी और सुधारों को मजबूती देता है।

उन्होंने कहा, विधेयक हमारे कुछ प्रमुख अमेरिकी भागीदारों और सहयोगियों को काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्संस एक्ट (सीएएटीएसए) के तहत रूस संबंधी प्रतिबंधों से राहत प्रदान करता है।

सीएएटीएसए संशोधन भारत जैसे देशों को रूस से सैन्य उपकरणों की खरीद-फरोख्त जारी रखने की इजाजत देता है, लेकिन इन देशों को रूस से रक्षा खरीद को कम करने जैसी शर्तो को पूरा करना होगा।

2018 में लागू कानून, 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कथित रूसी हस्तक्षेप के लिए सरकारी सैन्य हार्डवेयर निमार्ताओं और कुछ व्यवसायियों पर प्रतिबंध लगाता है।

इस संशोधित अधिनियम को राष्ट्रपति की स्वीकृति की जरूरत है जो प्रमुख अमेरिकी सहयोगियों को रूस के साथ व्यापार करने की अनुमति देगा।

मैटिस ने कहा, मैं रिकार्ड समय में इस वर्ष के एनडीएए को पारित करने के लिए सदन के दोनों दलों के सदस्यों द्वारा दिखाई मजबूत प्रतिबद्धता का आभारी हूं। सदस्यों ने हमारी सेना के लिए हमारे गहरे और स्थायी समर्थन को प्रदर्शित किया है।

उन्होंने कहा, अब हमारा कर्तव्य इन नीतियों को जिम्मेदारी से लागू करना, प्रदर्शन और जवाबदेही को सुनिश्चित करना है।

अमेरिका द्वारा रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों का असर सबसे पहले भारत पर पड़ा था, जो रूस निर्मित पांच एस-400 ट्रायमफ उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों को खरीदने के लिए तैयारी कर रहा था। इस फैसले के बाद अब नई दिल्ली को राहत मिलेगी।

इस साल के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।

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