वाणिज्यिक विवादों के समाधान के लिए लोकसभा में विधेयक पेश
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| वाणिज्यिक विवादों के त्वरित समाधान के लिए लोकसभा में लाए गए विधेयक पर बुधवार को चर्चा हुई। विधेयक में में वाणिज्यिक विवादों के लिए निर्धारित वर्तमान राशि एक करोड़ रुपये को घटाकर तीन लाख रुपये करने का प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक को लाने का मकसद भारत में कारोबारी सुगमता (इज ऑफ डूइंग बिजनेस) को बढ़ावा देना है।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में वाणिज्यिक अदालत, वाणिज्यिक खंड और उच्च न्यायालय वाणिज्यिक अपीलीय खंड (संशोधन) विधेयक पेश करते हुए कहा, सुशासन भी अच्छी अर्थव्यव्यवस्था का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक अदालतें 214 हैं और एक करोड़ रुपये से अधिक के 2,000 से ज्यादा मामले लंबित हैं।
विधेयक में इसी साल सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को वापस लेने की भी मांग की गई है।
इसमें उन राज्यों में जिला स्तर पर वाणिज्यिक अदालत बनाने का भी प्रावधान किया गया जहां यह संबंधित उच्च न्यायालय में सामान्य मूल सिविल न्यायाधिकार क्षेत्र में आता है।
विधेयक में वाणिज्यिक अदालत कानून 2015 में संशोधन किया गया जिसके तहत वाणिज्यिक विवादों की निर्धारित राशि जो इस समय एक करोड़ रुपये है उसे घटाकर तीन लाख रुपये करने का प्रावधान किया गया ताकि पक्षकार मामलों के त्वरित समाधान के लिए अधीनस्थ न्यायालयों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच सकें।
अधिकारियों ने बताया कि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वाणिज्यिक विवादों में काफी इजाफा हुआ है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी वाणिज्यिक लेन-देन बढ़ने से सभी वाणिज्यिक विवादों में काफी वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि वाणिज्यिक विवादों के लिए निर्धारित राशि में कमी से ऐसे विवादों के समाधान में कम समय लगेगा और इज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत की रैंकिंग में सुधार होगा।