उत्तराखंड में सावन का महीना शुरू होते ही कांवड़ यात्रा ज़ोरो शोरों से चल रही है। ऐसा कई जगह देखा गया है कि यात्रा के दौरान शिव झांकियों में लोग व कांवड़िए भगवान शिव के वेश में आते हैं और गंगा जल लेकर भगवान शिव के वेश में ही नृत्य करते हुए लोगों का मनोरंजन करते हैं। लेकिन इस मनोरंजन की आड़ में कानून का उल्लंघन भी हो रहा होता है।
ऐसा ही एक नज़ारा उत्तराखंड पुलिस को हरिद्वार में कांवड़ यात्रा में देखने को मिला। यात्रा के दौरान कांवड़ियों का एक समूह में शिव बने कलाकार ने अपने गले में जिंदा अजगर रखा हुआ है और अपने हांथों में भी जिंदा सांप लिए हुए खड़ा है। लेकिन इस तरह से प्रतिबंधित वन्य जीवों को साथ रखना या किसी व्यक्ति के पास इनका जिंदा पाया जाना, इनके शिकार की श्रेणी में आता है।
उत्तराखंड पुलिस ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर यह जानकारी देते हुए लोगों को सचेत किया है कि अगर कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित वन्य जीवों को साथ में रख कर उन्हें मंनोरंजन के तौर पर प्रयोग करता है, तो इसे वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत अपराध माना जाएगा।
ज़िदा प्रतिबंधित वन्य जीवों के साथ पाए जाने वाले लोगों पर कानूनी तौर पर तीन साल से सात साल तक की सजा भी हो सकती है। इसके साथ साथ 10 से 25 हज़ार के ज़ुर्माने का भी प्रावधान है।
उत्तराखंड पुलिस ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर यह साफ तौर पर कहा है कि सांपो को साथ रखना गैरकानूनी तो है ही यह बेहद खतरनाक भी हो सकता है। इस तरह सांपो को साथ ले जाने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।