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खुशखबरी : उत्तराखंड में कुपोषण को जड़ से मिटाएगा ‘ऊर्जा’

प्रदेशभर के 20,066 आंगनबाड़ी केन्द्रों ‘टेक होम राशन’ योजना की मदद से दिया जाएगा लाभ

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में समेकित बाल विकास सेवाओं के तहत टेक होम राशन और कुपोषित बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र के माध्यम से दिए जाने वाले पोषाहार ‘ऊर्जा’ की प्रगति की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिए है।

” उत्तराखंड में महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से प्रदेशभर की 20,066 आंगनबाड़ी केन्द्रों में ‘टेक होम राशन’ योजना व कुपोषित बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार ‘ऊर्जा’ (उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों मण्डुआ, भटट, घी, गुड़ व चैलाई का पका हुआ पोषाहार ) की आपूर्ति की जाए।” सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बच्चों को पौष्टिक व गुणवत्ता आहार के साथ ही स्थानीय महिलाओं को रोजगार के अवसर भी मिले, इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए स्किल डेवलपमेन्ट ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाए।  आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं और नौनिहालों की कुपोषण जांच की लगातार माॅनिटरिंग की जाए।

”आंगनबाड़ी केन्द्रों में बाल विकास सुनिश्चित करने व कुपोषण समाप्त करने के लिए हर वर्ष आवंटित होने वाले 214 करोड़ रूपए की धनराशि का सदुपयोग, सही वितरण, लाभार्थियों को वास्तविक लाभ, पौष्टिक आहार की सुनिश्चितता के लिए प्रभावी माॅनिटरिंग की जाए।” मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा।

बैठक में मुख्यमंत्री रावत ने निर्देश दिए कि राज्य में मौजूद लगभग 20 हज़ार कुपोषित बच्चों के परिवारों को रोजगार से जोड़ने की कार्ययोजना पर कार्य किया जाए। इन गरीब व कुपोषित परिवारों को पहले से मौजूद 12 हजार स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जाए। इस वर्ष 8000 नए स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

नौनिहालों को दिए जाने वाले पोषाहार ‘ऊर्जा’ जो कि उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों मण्डुआ, भटट, घी, गुड़ व चैलाई आदि से तैयार किया जाता है,इसकी उच्च गुणवता भी अच्छी होती है।

उत्तराखंड सरकार लगभग 650 ग्रोथ सेन्टर विकसित करने की योजना में स्थानीय रोजगार के अवसर पैदाकर रही है । ग्रोथ सेन्टरों के माध्यम से स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय उत्पादों के माध्यम से स्थानीय मांगों को पूरा किया जाएगा। सीएम रावत ने बैठक में यह निर्देश दिया कि न्याय पंचायत स्तर पर ग्रोथ सेन्टरों के माध्यम से स्कूली छात्र-छात्राओं, पुलिस विभाग, होमगार्ड, अस्पतालों में नर्सो, वन विभाग के अधिकारियों /कार्मिको की वर्दियां तैयार करवाने की कार्ययोजना पर कार्य किया जाए। वर्दिया तैयार करने के लिए स्थानीय लोगों व महिला स्वयं सहायता समूहों को स्किल डेवलपमेन्ट ट्रेनिंग दी जाए।

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