जियो इंस्टीट्यूट को महज ‘आशय पत्र दिया : जावड़ेकर
नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)| मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि जियो इंस्टीट्यूट को विशिष्ट संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस) का महज आशय पत्र दिया गया है।
इससे पहले जियो इंस्टीट्यूट को विशिष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान करने का विवाद सदन में उठा।
राज्यसभा के कई सदस्यों ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) व दशकों से कीर्तिमान स्थापित करने वाले अन्य संस्थानों के साथ उस संस्थान की रैंकिंग करने के विवेक को लेकर सवाल किया, जो अभी आने वाला है।
जावड़ेकर ने सदन को बताया कि जियो इंस्टीट्यूट को महज आशय पत्र दिया गया है और विशिष्ट संस्थान का टैग नहीं दिया गया है।
हालांकि मंत्री के बयान से विपक्षी दल के सांसद संतुष्ट नहीं हुए और तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा मीडिया की कुछ रिपोर्ट में विशिष्टता के टैग को चुनाव के बांड (जिसके जरिए कॉरपोरेट के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से राजनीतिक दल को चंदा दिया जा सकता है।) से जोड़कर देखा गया है।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि दिल्ली और बंबई आईआईटी और बंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के तीन विशिष्ट संस्थानों में प्रत्येक को 1,000 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे, लेकिन किसी निजी संस्थान को इस प्रकार की कोई निधि नहीं दी जाएगी।
जावड़ेकर ने कहा, सरकार चयन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं थी और अलग रहकर इसका निरीक्षण कर रही थी। विशेषज्ञों के पैनल द्वारा चयन कार्य को अंजाम दिया गया।
चयन प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि जियो के प्रायोजक संगठन ने महाराष्ट्र के कर्जत में संस्थान बनाने का प्रस्ताव दिया। संस्थान को अगले तीन साल में मानित विश्वविद्यालय जैसे विशिष्ट संस्थान स्थापित करने का आशय पत्र प्रदान किया गया है।
उन्होंने कहा, प्रायोजक संगठन इस आशय पत्र के प्रदान किए जाने के तीन साल के भीतर अकादमिक कार्यक्रम शुरू करने के लिए तत्परता दिखाते हुए एक रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगा।
उन्होंने सदन को सूचित किया कि नौ जुलाई 2018 को हुई बैठक में विशेषज्ञों की सक्षम समिति की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए बाद उसे मंजूरी प्रदान की गई और आईआईटी-दिल्ली और मुंबई व आईआईएसी-बंगलोर को विशिष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान करने की सिफारिश की गई।