रूई बाजार पर अमेरिका-चीन व्यापार जंग की मार
नई दिल्ली, 21 जुलाई (आईएएनएस)| रूई का बाजार पिछले एक महीने से अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी व्यापार जंग के आगोश है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फिर 500 अरब डॉलर मूल्य के चीनी उत्पादों पर शुल्क लगाने के संकेत दिए जाने के बाद शुक्रवार को फिर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई के दाम में गिरावट आई।
इससे पहले अमेरिका द्वारा 50 अरब डॉलर मूल्य की चीनी वस्तुओं के आयात पर शुल्क लगाने का ऐलान किए जाने के बाद चीन ने भी रूई समेत कई अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद रूई की कीमतों में भारी गिरावट आई थी।
चीन अमेरिकी रूई का सबसे बड़ा खरीदार है और चीन द्वारा अमेरिकी रूई पर छह जुलाई से 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने के एलान के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर रूई सीजन के उच्चतम स्तर 95.86 सेंट प्रति पाउंड से फिसलकर 82.17 सेंट प्रति पाउंड पर आ गया था।
विदेशी बाजार में रूई में आई गिरावट के बाद भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर भी रूई करीब 1,000 रुपये प्रति गांठ (170 किलो प्रति गांठ) लुढ़क गई। एमसीएक्स पर 12 जून को जुलाई वायदा 23,250 रुपये प्रति गांठ पर बंद हुआ था जो छह जुलाई को फिसल कर 22,420 रुपये प्रति गांठ पर आ गई।
बीते कारोबारी सत्र में शुक्रवार को एमसीएक्स पर रूई का अक्टूबर डिलीवरी अनुबंध 120 रुपये की गिरावट के साथ 23,610 रुपये प्रति गांठ पर बंद हुआ।
आईसीई रूई वायदा शुक्रवार को 0.54 फीसदी लुढ़क कर 87.08 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ, जोकि पिछले एक सप्ताह का निचला स्तर है। इसस पहले शुरुआती कारोबार में इस हफ्ते अमेरिका में रूई निर्यात के आंकड़े कमजोर रहने से पिछले सत्र में रूई के दाम में आई गिरावट के बाद सुधार आया था, मगर ट्रंप के बयान के बाद दोबारा कमजोरी दर्ज की गई।
भारतीय बाजार में ट्रंसपोर्टरों की हड़ताल का भी असर रहा, जिस कारण हाजिर मांग और आपूर्ति कमजोर रही। इसके अलावा, बुवाई के आंकड़ों में सुधार होने से भी वायदा कारोबार नरम रहा। मुनाफावसूली की आशंका से बाजार में कमजोरी आने के संकेत पहले से ही मिल रहे थे। हालांकि अगले सप्ताह लिवाली बढ़ने से रिकवरी आने की उम्मीद है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को प्रसारित एक विदेशी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि वह चीन से आयातित 500 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाने को तैयार हैं।
भारतीय वायदा बाजार में रूई का कारोबार अमेरिकी बाजार से प्रेरित रहता है। लिहाजा, अमेरिकी बाजार में रूई के दाम में कमजोरी आने से आगे घरेलू बाजार में रूई में और गिरावट देखने को मिल सकती है। लेकिन देश के हाजिर बाजार में रूई के दाम में कोई खास गिरावट नहीं आई है।
बेंचमार्क गुजरात शंकर-6 (29 एमएम) रूई अभी तक 48,000-48,500 रुपये प्रति गांठ पर बनी हुई है। कारोबारियों की माने तो भारतीय रूई बाजार को अमेरिका-चीन व्यापार जंग का फायदा मिलेगा, क्योंकि चीन में अमेरिकी रूई महंगी होने पर चीनी आयातकों का रुझान भारतीय रूई की ओर होगा।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत का रूई निर्यात चालू सीजन 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में करीब 70 लाख गांठ रहने का अनुमान है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल गंतरा ने पिछले दिनों आईएएनएस से बातचीत में कहा कि चीन में रूई का स्टॉक इस साल कम हुआ है और वह अगले सीजन में ज्यादा खरीद करेगा। ऐसे में भारत से चीन को रूई का निर्यात बढ़ सकता है।
अमेरिकी कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी रूई के निर्यात का आंकड़ा इस सप्ताह पिछले सप्ताह से करीब 12 फीसदी कम है जबकि पिछले चार सप्ताह के औसत से 33 फीसदी कमजोर है।
इस बीच पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी रूई के दाम में वृद्धि हुई है, जिससे भारतीय बाजार में रूई के दाम को सहारा मिलेगा। पाकिस्तान भी भारतीय रूई का बड़ा खरीदार है।
इसके अलावा कपास का रकबा अब तक पिछले साल के मुकाबले 11 फीसदी पिछड़ा हुआ है, जिससे बाजार को सपोर्ट मिलेगा। कृषि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, चालू सीजन में 92.70 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में देशभर में कपास का रकबा 104.27 लाख हेक्टेयर था।