अब पांचवी और आठवीं कक्षा में भी रहेगा फेल होने का डर, मन लगाकर करिए पढ़ाई
स्कूली बच्चों को फेल करने की अनुमति देने वाला विधेयक मानसून सत्र में पारित
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा ने बुधवार को पांचवी और आठवीं कक्षा में बच्चों को नहीं रोकने वाली नीति को समाप्त करने की मांग वाले संशोधन को पारित कर दिया गया। इस संशोधन के बाद अब अगर बच्चा दोनों में से किसी एक या फिर दोनों कक्षाओं में फेल होता है,तो राज्य स्कूलों को उसे अगली कक्षा में जाने से रोकने की अनुमति दे सकेंगे।
इस विधेयक पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ‘बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2017’ पेश किया, जिसमें पांचवी और आठवीं कक्षा में नियमित परीक्षाओं की मांग की गई है।
मूल अधिनियम में यह निर्धारित किया गया था कि प्राथमिक शिक्षा के पूरा होने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा और न ही उसे किसी भी कक्षा में रोका जाएगा।
संशोधित अधिनियम के तहत न केवल अब दोनों कक्षाओं में परीक्षा का प्रावधान जोड़ा गया है, बल्कि राज्यों को यह शक्ति दी गई है कि अगर बच्चा पुनर्परीक्षा में फेल होता है तो उसे उसी कक्षा में रोक लिया जाए।