‘बाबरी मस्जिद को तोड़ने वाले हिंदू तालिबानी’
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने दी दलील
बाबरी मस्जिद मसले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को पेश दलील में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जिस प्रकार अफगान तालिबान ने बामियान बुद्ध की प्रतिमा तोड़ी, उसी प्रकार हिंदू तालिबान ने छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मजिस्द गिराई।
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ को बताया, जिस प्रकार अफगान तालिबान ने बामियान बुद्ध की प्रतिमा तोड़ी, उसी प्रकार हिंदू तालिबान ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया।
धवन ने कहा, किसी मत को मजिस्द ध्वस्त करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने यह बात हिंदू पक्षकार की दलील का प्रतिकार करते हुए कही।
धवन ने कहा, यह दलील नहीं होनी चाहिए कि इसमें कोई इक्वि टी नहीं और एक बार इसे ध्वस्त किए जाने के बाद इसपर फैसला करने के लिए कुछ बचा ही नहीं है।
धवन ने यह बात तीन न्यायाधीशों की पीठ से कही। उन्होंने दलील में आगे कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने 1994 के फैसले में कहा था कि नमाज अदा करना इस्लाम की आवश्यक प्रथा नहीं है, इसपर दोबारा विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, आवश्यक प्रथा का सवाल शीर्ष अदालत की पीठ के समक्ष 1994 के मामले से बिल्कुल अगल है।