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कैलाश मानसरोवर : 500 भारतीय तीर्थयात्रियों को अब भी बचाव का इंतजार

काठमांडू, 5 जुलाई (आईएएनएस)| तिब्बत में कैलाश मानसरोवर से लौटने की भारतीय तीर्थयात्रियों की कोशिश अभी खत्म नहीं हुई है।

अभी भी नेपाल के हिल्सा व सिमिकोट इलाकों में बचाव उड़ानों की 500 से ज्यादा तीर्थयात्री इंतजार कर रहे हैं। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, खराब मौसम सोमवार से सिमिकोट से आने-जाने वाली उड़ानों में बाधा आ रही है। इस स्थिति में मंगलवार को सुधार हुआ, जिससे हिल्सा से 202 तीर्थयात्रियों को हवाई परिवहन की मदद मिली। उन्हें सिमिकोट लाया गया। सिमिकोट से करीब 277 तीर्थयात्रियों को विमान के जरिए नेपालगंज व सुरखेट में बुधवार को उतारा गया।

सिमिकोट से मंगलवार को 150 लोगों को निकाला गया और नेपालगंज ले जाया गया, जबकि 250 लोगों को हिल्सा से सिमिकोट ले जाया गया।

कैलाश मानसरोवर से लौट रहे भारतीय तीर्थयात्री शनिवार से खराब मौसम की वजह से फंसे हुए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, फंसे हुए लोगों के लिए अधिक ऊंचाई पर सांस से जुड़ी बीमारी प्रमुख चिंता बनी हुई है। इस साल की शुरुआत में इसी वजह से आठ लोगों की मौत हुई थी। साल 2017 में 20 मानसरोवर तीर्थयात्रियों की मौत हुई थी।

काठमांडू में भारतीय दूतावास ने स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में बुधवार को कहा, दूतावास नेपालगंज-सिमिकोट-हिल्सा क्षेत्र में हालात पर निगरानी रखे हुए है और सभी फंसे हुए भारतीय नागरिकों व भारतीय मूल के लोगों को इलाके से निकालने के लिए सभी संभव उपाय किया जा रहा है।

निकासी प्रक्रिया को तेज करने के प्रयास में भारतीय दूतावास मौसम की स्थिति के मद्देनजर हेलीकॉप्टरों को किराए पर लेने और वाहकों के इस मार्ग पर उड़ान की इच्छा की संभावनाओं को देख रहा है।

ट्रेवल एजेंसी संचालक सीएन पांडेय ने कहा कि कैलाश मानसरोवर समुद्र तल से 5,950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। करीब 52 किमी के मानसरोवर सर्किट को पूरा करने में तीन दिन लगते हैं। ज्यादातर ऊंचाई से जुड़ी मौतें इसी सर्किट में होती है।

उन्होंने कहा कि इस साल 25,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने की उम्मीद है।

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