IANS

सिगरेट पीने वालों के हड्डी का इलाज मुश्किल

नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)| सिगरेट पीने वालों को हड्डी का इलाज कराना पड़े तो मुश्किल आती है, क्योंकि उनकी हड्डी ठीक होने में लंबा समय लग सकता है। ऐसा एक नए अध्ययन में सामने आया है। यह समस्या बुजुर्गो और महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। आंकड़े बताते हैं कि तंबाकू का लंबे समय तक उपयोग करने के कारण हर सप्ताह 13,000 से अधिक भारतीय पुरुष और 4,000 महिलाओं की मौत हो जाती है। धूम्रपान स्पष्ट रूप से एक जन-स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। ऐसे में युवकों और युवतियों को इस लत से बचाने के उपायों पर एक बार फिर से विचार करने की जरूरत है। खासकर वे युवा, जो धूम्रपान के दुष्प्रभावों के लिए विशेष रूप से संवेदनशील हैं।

एचसीएफआई के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, इस लत को किसी भी समय छोड़ देने से दिल की बीमारी और फेफड़ों के कैंसर से मरने का भय कम हो जाता है। धूम्रपान छोड़ने से ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना भी कम हो जाती है। धूम्रपान छोड़ने से व्यक्ति के चेहरे पर रौनक लौटने लगती है और पुरुषों एवं महिलाओं दोनों के लुक्स में सुधार होता है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए जो पांच कदम जरूरी हैं, उन्हें अंग्रेजी के स्टार्ट शब्द से याद रखा जा सकता है, जहां एस अक्षर का अर्थ है धूम्रपान छोड़ने की तारीख सैट करना, टी का मतलब है परिवार के सदस्यों, दोस्तों और लोगों को बताना या टैलिंग कि आप सिगरेट छोड़ रहे हैं। ए का अर्थ है निकोटीन छोड़ने से पैदा होने वाले मुश्किल समय को एंटीसिपेट करना यानी उसकी कल्पना करना, आर का अर्थ है घर से तंबाकू के उत्पादों को रिमूव करना यानी हटाना, और अंतिम टी का अर्थ है टेकिंग हैल्प, यानी अपने व्यवहार, परामर्श और दवाओं के लिए डॉक्टर से मदद लेना।

परामर्श या काउंसलिंग से धूम्रपान की लत को त्यागने में मदद मिलती है। इससे आपको अन्य विकल्प पता चलते हैं। यह लालसा को दूर करने में मदद करता है और यह समझने में भी आपकी सहायता करता है कि जब-जब आप धूम्रपान छोड़ना चाहते थे तब क्या गड़बड़ हो जाती थी।

डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, सिगरेट एक वासना है जो रामायण में कैकेई से शुरू होकर बाद में बाली पर जाकर समाप्त होती है। जब वासना नियंत्रित होती है, तो दस इंद्रियांे (दशरथ) की मृत्यु होती है और राम, सीता व लक्ष्मण (आत्मा, शरीर और मन) का नियंत्रण खोता है। रामायण में, वासना बाली की प्रतीक है, जिसे राम (चेतना) द्वारा मार दिया गया, न कि लक्ष्मण (दिमाग) द्वारा। बुद्धिमत्ता (सुग्रीव) से वासना (बाली) नहीं मारा जा सकता। इसे केवल पीछे से मारा जा सकता है, न कि सामने से, जो पतंजलि के योग सूत्र में प्रतिहार के सिद्धांत पर आधारित है। हम जिस जगह रहते हैं, वहां से तंबाकू उत्पादों को हटाना रामायण और पतंजलि योग में वर्णित उपर्युक्त सिद्धांत पर ही आधारित है।

एचसीएफआई के कुछ सुझाव :

* निकोटीन की लत को छुड़ाने के लिए च्यूइंग गम, लोजेंजेस, नेजल स्प्रे या इनहेलर्स जैसे उपायों का सहारा लिया जा सकता है। इनसे तीव्र तलब को दूर करने में मदद मिल सकती है।

* ट्रिगर की स्थिति की पहचान करें, जो आपको धूम्रपान करने को उकसाती है। इनसे बचने के लिए या वैकल्पिक रूप से इस तलब को शांत करने की योजना तैयार रखिए।

* शुगरफ्री गम या हार्ड कैंडी चबाइए, या कच्चे गाजर, अजवाइन, नट्स अथवा सूरजमुखी के बीज पास मंे रखिए। तंबाकू की तलब लगने पर इन्हंे चबा लीजिए।

* शारीरिक रूप से सक्रिय रहिए। सीढ़ियां से कुछ बार नीचे-ऊपर जाने या टहलने से धूम्रपान की तलब को कम किया जा सकता है।

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