‘मेरे प्रति घृणा ही विपक्षी एकता का एकमात्र कारण’
लोकसभा चुनाव में लोग भाजपा को जनादेश देकर दोबारा सत्ता में लाएंगे : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विपक्षी एकता के प्रयास पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरे प्रति घृणा इन्हें बांधे रखने का एकमात्र कारक है।
प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अगले लोकसभा चुनाव में लोग भाजपा को जनादेश देकर दोबारा सत्ता में लाएंगे। प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों के महागठबंधन के गठन पर कहा कि इस तरह के प्रयास राष्ट्रीय हित के लिए प्रेरित नहीं होते, बल्कि खुद को राजनीति में बनाए रखने और सत्ता हासिल करने के लिए होते हैं।
मोदी ने कहा, विपक्ष में कोई महागठबंधन नहीं है। यहां केवल प्रधानमंत्री बनने की महादौड़ चल रही है। राहुल गांधी कहते हैं कि वह प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस सहमत नहीं है। ममता जी प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं, लेकिन वाम दल एक समस्या है। समाजवादी पार्टी सोचती है कि उनका नेता सबसे बेहतर है और वह प्रधानमंत्री बनने का हकदार है। पूरा ध्यान सत्ता की राजनीति पर है न कि लोगों की प्रगति पर।उन्होंने कहा, मोदी के प्रति घृणा विपक्ष को बांधे रखने का एकमात्र कारक है।
प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि इन दलों के नेताओं की आपसी नापसंदगी और अविश्वास कितने समय तक एक-दूसरे को साथ रख सकता है। उन्होंने कहा, वह पश्चिम बंगाल और केरल जैसे विभिन्न राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ प्रत्यक्ष और कड़े मुकाबले में शामिल हैं। पिछली दफा इन दलों ने उत्तर प्रदेश (1993) में सरकार का गठन किया था, जो दो साल भी नहीं चल सका था। इस तरह की अस्थिरता हमारे राष्ट्र की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
मोदी ने कहा कि प्रत्येक गठबंधन को एक ठोस कारक और नेतृत्वधारी पार्टी की जरूरत होती है, लेकिन कांग्रेस महज एक क्षेत्रीय पार्टी बनकर रह गई है।
उन्होंने कहा, वे पंजाब, मिजोरम और पुडुचेरी में सत्ता में हैं। दिल्ली, आंध्र प्रदेश और सिक्किम विधानसभाओं में उनका कोई प्रतिनिधि नहीं है। उत्तर प्रदेश और बिहार में उनकी संख्या को सभी जानते हैं। इसलिए इस गठबंधन का मजबूत कारक कौन है।
पार्टी के पचमढ़ी सम्मेलन में गठबंधन राजनीति पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। सोनिया ने कहा था कि गठबंधन का दौर बीत चुका है।
मोदी ने कहा, कांग्रेस अब पचमढ़ी के अहंकार से सहयोगियों की तलाश में निकल पड़ी है। वह अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। यह भारत के लोगों के कारण हुआ, जिन्होंने कांग्रेस को व्यापक रूप से खारिज कर दिया।
कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (सेकुलर) के गठबंधन को बिना विचारधारा और अवसरवादी करार देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के गठबंधन अराजकता की गारंटी देते हैं और विकास का मुद्दा पीछे चला जाता है।