जीएसटी से रियल एस्टेट में फायदे की उम्मीद, चिंता बरकरार
नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)| देश में एक जुलाई, 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू होने से रियल एस्टेट के क्षेत्र को गहरा आधात पहुंचा, क्योंकि पूर्व में विमुद्रीकरण (नोटबंदी) ने इस क्षेत्र को हिलाकर रख दिया था।
वहीं, रियल एस्टेट रेग्युलेटरी एक्ट (रेरा) की चाबुक से रियल एस्टेट कारोबारी पहले से ही परेशान थे।
रियल एस्टेट डेवलपर हालांकि बताते हैं कि वे कुछ हद तक इन आघातों से उबर चुके हैं और लंबी अवधि में जीएसटी के फायदे मिल सकते हैं। हालांकि उनकी चिंताएं बरकरार हैं।
रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए निर्माणाधीन प्रोजेक्ट पर 18 फीसदी की ऊंची कर को बड़ी समस्या है। पूर्व में इस पर महज पांच फीसदी सेवा कर था। हालांकि भूमि उपशमन के तौर पर एक तिहाई कटौती के बाद यह 12 फीसदी रह गई है।
कंसल्टेंसी फर्म 360 रियलटर्स के प्रबंध निदेशक अंकित कंसल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, मीडियम या लग्जरी रेंज के निमार्णाधीन प्रोजेक्ट के सेगमेंट में इस समय सर्वाधिक आपूति है, लेकिन लोग इसमें लोग पूरे होने या कब्जा देने के प्रमाणपत्र का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि कोई लागत पर 12 फीसद या उससे अधिक कर देने को तैयार नहीं है।
रेडी टु मूव वाले घरों पर जीएसटी नहीं लगता है, इसलिए ग्राहक कर से बचने के लिए घर बनकर तैयार होने के प्रमाणपत्र का इंतजार करते हैं।
रियल्टी ग्रुप ईकेटीए वर्ल्ड के अध्यक्ष अशोक महनानी ने कहा कि कर उम्मीद से ज्यादा है, इसलिए ऊंची कर से उपभोक्ता और निवेशक दानों को धक्का लगा है।
हालांकि सस्ते घर के सेगमेंट में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कर दर कम होने से थोड़ी राहत मिली है। इस योजना में आठ फीसदी तक अनुदान है।
अजमेरा ग्रुप के डायरेक्टर धवल अजमेरा ने कहा, कर में कटौती हुई है मगर इसका अनुपात बहुत कम है। फ्लैट और मंहगा हो गया है।