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पतंजलि का ‘किम्भो’ एप बुरे ख्याल से ज्यादा कुछ नहीं

नई दिल्ली, 28 जून (आईएएनएस)| मई के अंत में बाजार में आया योगगुरु रामदेव का स्वदेशी मोबाइल मैसेजिंग एप ‘किम्भो’ एक बुरी तरह तैयार व्यापारिक योजना बनकर रह गया। दावा किया जा रहा था कि इसे व्हाट्सएप की जगह लेने के लिए लाया गया है।

वित्तवर्ष 2017 में 10,561 करोड़ रुपये का टर्नओवर करने वाली कंपनी पतंजलि ने पहले तो लोगों से इस एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने को कहा, फिर इसके तुरंत खत्म होने के लिए इंटरनेट पर अत्यधिक ट्रैफिक को दोष दिया, उसके बाद में कहा कि यह सिर्फ एक दिवसीय परीक्षण था और अब पतंजलि ने इसे दोबारा लांच करने के लिए दो और महीनों का वक्त मांगा है।

यह एप 31 मई को गूगल प्ले स्टोर पर आने के अगले दिन ही सुरक्षा और प्रदर्शन में कमियों के कारण गायब हो गया था। इससे देश की प्रौद्योगिकी उद्योग को झटका लगा था।

अगर आज आप गूगल प्ले स्टोर पर जाते हैं, तो आपको किम्भो के कम से कम एक दर्जन नकली एप मिलेंगे।

किम्भो एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- आप कैसे हैं? या क्या चल रहा है? इसमें मैसेजिंग एप, टीवी और कई अन्य विशेषताओं का दावा किया गया था।

अब प्रश्न उठता है कि इस एप को लांच करने की जल्दबाजी क्या थी? इसे फेसबुक के अधिग्रहण वाले व्हाट्सएप के लिए चुनौती के तौर पर पेश किया गया था। व्हाट्सएप के वैश्विक उपभोक्ता लगभग 1.5 अरब और भारत में 20 करोड़ हैं।

फ्रांस के प्रसिद्ध सुरक्षा अनुसंधानकर्ता इलियट एल्डरसन ने ट्विटर पर किम्भो को सुरक्षा के मामले में विध्वंसकारी बताते हुए कहा है, यह किम्भो एप एक मजाक है, अगली बार संवाददाता सम्मेलन बलाने से पहले सक्षम डेवलपर्स से काम कराएं.. अगर कुछ स्पष्ट नहीं है, तो तत्काल इसे इंस्टॉल न करें।

देश के प्रमुख सोशल मीडिया विशेषज्ञ अनूप मिश्रा ने कहा, जहां व्हाट्सएप जैसा एक मैसेजिंग एप बनाकर फेसबुक को 19 अरब डॉलर में बेचा गया, वहीं स्वदेशी एप किम्भो लांच करने वाली पतंजलि की कुल संपत्ति लगभग 2.5 अरब डॉलर है। पतंजलि का आईटी क्षेत्र में शून्य योगदान है, इसलिए यह उपक्रम पहले चरण में ही विफल होनी थी।

व्हाट्सएप जैसे वैश्विक मैसेजिंग एप को चलाने के लिए शीर्ष आईटी तंत्र की जरूरत पड़ती है।

उन्होंने कहा, आपको इसे चलाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम की जरूरत होती है।

वैश्विक स्तर का एप बनाने के लिए समय, तकनीक और रुपये तीनों का भारी निवेश करना होता है तथा उसे चलाने के लिए 10 गुना ज्यादा निवेश करना पड़ता है।

किम्भो को व्हाट्सएप से प्रतिस्पर्धा किए बिना लांच किया जाना चाहिए। वैश्विक स्तर का एप बनाने में खाद्य उत्पादों और प्रसाधन सामग्री बनाने से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

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