मप्र में प्रधानमंत्री गफलत वाली निविदा परियोजना का करेंगे शिलान्यास : कांग्रेस
भोपाल, 21 जून (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’ बयान पर तंज कसते हुए मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि राज्य में इसके विपरीत ‘खाऊंगा और खाने दूंगा’ की नीति पर अमल हो रहा है। सिंह ने शिवराज सरकार के ई-टेंडरिंग घोटाले का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और बताया है कि इस घोटाले में वह टेंडर भी है, जिस परियोजना का प्रधानमंत्री शिलान्यास करने 23 जून को राजगढ़ आ रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, ई-टेंडरिंग घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए सख्त कदम उठाएं, क्योंकि शिवराज सरकार इस घोटाले का सच छुपाने की साजिश में लग गई है। प्रदेश में जहां आपकी मंशा के विपरीत डिजिटल इंडिया को इस घोटाले से आघात पहुंचाया गया है, वहीं आपकी नीति के उलट पूरे प्रदेश में ‘खाऊंगा और खाने दूंगा’ का वातावरण बनाया गया है।
अजय सिंह ने पत्र के माध्यम से मोदी को बताया है कि पूरे देश के लोगों से डिजिटल इंडिया बनाने में सहयोग देने की आपकी ओर से अपील की गई, लेकिन मध्यप्रदेश में ई-टेंडरिंग घोटाला कर इसे बदनाम किया गया है। इससे आपकी इस योजना को गहरा धक्का लगा है।
सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि ई-टेंडरिंग घोटाले का खुलासा स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 1000 करोड़ रुपये के तीन टेंडरों में की गई टेम्परिंग से हुआ है। तीन टेंडरों में से दो टेंडर वे भी शामिल हैं जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री 23 जून को राजगढ़ जिले में करने वाले हैं। इस टेम्परिंग के खुलासे से 2014 से अब तक हुए तीन लाख करोड़ के टेंडर संदेह के घेरे में हैं।
यही नहीं, प्रदेश के पांच विभाग- लोक निर्माण, महिला बाल विकास, पीएचई, एनबीडीए और पीआईयू में भी ई-टेंडरिंग व्यवस्था में बड़ा घोटाला हुआ है।
सिंह ने ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस ब्यूरो में पिछले छह साल से जो प्रभारी एसपी शशिकांत शुक्ला कार्यरत हैं, जो मंत्री नरोत्तम मिश्रा के रिश्तेदार हैं। इसी तरह एआईजी धनंजय शाह हैं, जो मंत्री विजय शाह के रिश्तेदार हैं। इसी ब्यूरो में एक और पुलिस अधिकारी राजेंद्र वर्मा कार्यरत हैं, जो उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री मन्नुलाल कोरी के रिश्तेदार हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि जिस जांच एजेंसी में सारे अधिकारी मंत्रियों, नेताओं के रिश्तेदार होंगे तो निष्पक्ष जांच कैसे होगी।