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भूमि सुधार से ही सामाजिक सुधार संभव : राजगोपाल

मुरैना, 18 जून (आईएएनएस)| एकता परिषद के संस्थापक और प्रसिद्ध गांधीवादी पी.वी. राजगोपाल ने सामाजिक सुधार के लिए भूमि सुधार को आवश्यक बताया है। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के जौरा स्थित गांधी आश्रम परिसर में आयोजित कार्यकर्ता उन्मुखीकरण और क्षमता विकास शिविर में राजगोपाल ने कहा, देश में गरीबी और हिंसा में बढ़ोतरी हो रही है, इसका मुख्य कारण भूमि का असमान वितरण और वंचित समुदाय की भूमि समस्याओं का निराकरण न होना है। सामाजिक न्याय के लिए भूमि सुधार बहुत ही जरूरी है।

उन्होंने कहा कि अहिंसात्मक तरीके से काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं में धैर्य, साहस, परिश्रम और समर्पण की बहुत जरूरत होती है, जिससे वे समाज के विभिन्न वर्गो, गरीबों, वंचितों की समस्याओं को लेकर राज्य सरकार, केंद्र सरकार और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के बीच मध्यस्थता कर उनकी समस्याओं का समाधान करा सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा, समाज में व्याप्त विषमताओं को दूर करने के लिए कार्यकर्ताओं के मन में चिंता होनी चाहिए। सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाला कार्यकर्ता महात्मा गांधी के विचार- सत्य, अहिंसा और प्रेम की रोशनी फैलाने का काम करता है। गांधीजी ने अंतिम व्यक्ति के फायदे की बात की थी। इसलिए हमारे द्वारा किए जाने वाले काम की दिशा और मार्ग भी समाज के अंतिम हाशिये पर खड़े व्यक्ति तक जाना चाहिए।

महात्मा गांधी सेवा आश्रम के सचिव डा़ॅ रनसिंह परमार ने कहा, आश्रम द्वारा जनजागरण, खादी ग्रामोद्योग पर केंद्रित होकर काम कर रहा है। आश्रम के द्वारा शहद उत्पादन की प्रेरणा से सीख लेकर जौरा के आस-पास बहुत सारे किसान और महिलाओं ने शहद उत्पादन के कार्य से जुड़कर रोजगार में पाने में सफल हुए हैं।

केरल से आए पवित्रन ने केरल में स्वदेशी संस्था का उदाहरण देते हुए कहा कि कुटीर उद्योग के माध्यम से हजारों महिलाओं को रोजगार दिलाया गया है। बिहार के प्रदीप प्रियदर्शी छत्तीसगढ़ के अरुण ने ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर दिलाने पर जोर दिया।

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