विश्व व्यापार जंग से रूई बाजार में मंदी का माहौल
नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)| अमेरिकी और चीन के बीच ठनी व्यापार जंग के आगोश में रूई बाजार भी आ गया है। चीन की ओर से अमेरिका से आयातित रूई पर 25 फीसदी शुल्क लगाने की घोषणा से दुनियाभर के रूई बाजार में मंदी का माहौल पैदा हो गया है। इससे अगले साल 2018-19 में उत्पादन के मुकाबले खपत ज्यादा होने के अनुमान से पिछले दिनों रूई के भाव में जितना उछाल आया था उससे ज्यादा गिरावट आ गई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई के भाव में भारी गिरावट के असर से भारतीय बाजार भी अछूता नहीं रहा जबकि घरेलू फंडामेंटल तेजी को सपोर्ट कर रहा है। मांग के मुकाबले आपूर्ति कमजोर रहने से घरेलू बाजार में रूई के हाजिर और वायदा कीमतों में पिछले दिनों जबरदस्त तेजी रही।
भारतीय समयानुसार दोपहर तीन बजे बेंचमार्क जुलाई वायदा मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर करीब 200 रुपये की कमजोरी के साथ 23030 रुपये प्रति गांठ (170 किलो प्रति गांठ)पर कारोबार कर रहा था। एमसीएक्स पर जुलाई वायदा सौदा कमजोरी के साथ 2310 पर खुलने के बाद शुरुआती कारोबार में 22930 तक लुढ़का।
वहीं, दिसंबर सौदा 450 रुपये लुढ़क कर 22990 रुपये प्रति गांठ पर बना हुआ था जबकि इससे पहले यह शुरआती कारोबार में 22930 रुपये तक लुढ़का। सबसे ज्यादा नवंबर डिलीवरी सौदे में कमजोरी आई और यह 510 रुपये लुढ़ककर 23060 रुपये प्रति गांठ पर बना हुआ था।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज पर जुलाई एक्सपायरी कॉटन वायदा 1.91 फीसदी की कमजोरी के साथ 88.99 सेंट प्रति पाउंड पर कारोबार कर रहा था जबकि कारोबार के दौरान वायदा सौदा 87.11 सेंट प्रति पाउंड तक लुढ़का। इससे पहले शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉटन में तीन फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई।
हाजिर में बेंचमार्क एस-6 (29 एमएम) की रूई का भाव गुजरात में पिछले सत्र के मुकाबले 100-200 रुपये की कमजोरी के साथ सोमवार को 47,500-48,200 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम प्रति कैंडी) था। साथ ही, देश के अन्य हिस्से में भी रूई के हाजिर भाव में 200-300 रुपये प्रति कैंडी की नरमी दर्ज की गई।
गुजरात के कडी स्थित राजा इंडस्ट्री के प्रमुख दिलीप पटेल का कहना है कि रूई में आई मंदी पर चीन द्वारा अमेरिकी आयात पर शुल्क लगाने के साथ-साथ अमेरिका के प्रमुख कॉटन उत्पादक क्षेत्र टेक्सास में बारिश होने का भी असर है। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, टेक्सास में सूखे की खबर आई जिससे बाजार को काफी सपोर्ट मिला और जोरदार तेजी देखने को मिली। लेकिन अब वहां बारिश होने से फसल में सुधार की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा भारत में कपास का रकबा घटने के जो कयास लगाए जा रहे थे उसमें वैसा कुछ अब नहीं है। कपास का मौजूदा रकबा पिछले साल से ज्यादा है।