गांंव में पानी की किल्लत को खत्म कराने के लिए महिलाओं ने घेरी तहसील
यूपी- उत्तराखंड की सीमा से सटे गांवों में बढ़ रहा जल संकट
उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं के कम होने बाद अब गांवों में जल संकट गहराता जा रहा है। सबसे अधिक समस्या गढ़वाल क्षेत्र के यूपी की सीमा से सटे पहाड़ी गांवों में देखने को मिल रही है।
ऐसे ही पानी की किल्लत झेल रहे उत्तराखंड के देवेन्द्रनगर कौड़िया गांव में पिछले कई दिनों से लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। हालतच यह है कि पानी की समस्या को लेकर लोगों ने आवाज़ भी उठाई, लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकाला गया है। गांव में पानी के आभाव को देखते हुए महिलाओं ने तहसील पहुंचकर विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा है और गांव में पानी की समस्या को जल्द खत्म करने की मांग उठाई है।
गांव की निवासी महिला पुष्पा देवी ने बताया कि हमारा गांव यूपी की सीमा में आता है पर गांव के पास लगा नलकूप उत्तराखंड की सीमा में होने से उन्हें पानी मिलने में दिक्कत हो रही है, जबकि उस नलकूप का प्रयोग गढ़वाली कंपनियां लगातार कर रही हैं।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बसे गाँवों में ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाओं की किल्लत के कारण ग्रामीणों को परेशान होने पड़ रहा है। इसके साथ साथ नदियों के जल स्त्रोतों के ठप हो जाने के बाद गर्मियों में यह परेशानी अपनी बड़ा रूप ले रही है।उत्तराखंड जल संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 10 से ज़्यादा पहाड़ी जिलों में 500 जल स्रोतों में पानी का प्रवाह 50 प्रतिशत घट गया है। इसमें सबसे अधिक हिस्सा पौड़ी, टिहरी और चम्पावत जिलों में देखने को मिला है।
जल संकट से जूझ रहा गांव देवेन्द्रनगर कौड़िया अकेला ऐसा गांव नहीं है, बल्कि यूपी-उत्तराखंड सीमा से सटे हल्लोवाली, मोटाढाक, चौहड़खाता, चतरूवाला सहित 50 से अधिक गांव पानी की गंभीर किल्लत झेल रहे हैं।
मंगलवार को यूपी और उत्तराखंड के सीमावर्ती गांव देवेन्द्रनगर कौड़िया कि महिलाओं ने तहसील नजीबाबाद पहुंची कर गांव की समस्या को खत्म करने की आवाज़ उठाई। महिलाओं का यह कहना है कि नलकूप मोटाढाक ( उत्तराखंड) में होने के कारण उनके गांव के हिस्से का पानी गढ़वाल क्षेत्र के औद्योगिक इकाइयों को सप्लाई किया जा रहा है, जबकि गांव देवेंद्रनगर कौड़िया के लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं।