उत्तराखंड में आपदा से निपटने के लिए अतिसंवेदनशील स्थानों पर होगी ड्रोन कैमरे से निगरानी
आपदा की स्थिति में बेहतर संचार बनाए रखने के लिए किया जा रहा प्रयोग
उत्तराखंड में अब किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। राज्य सरकार अब प्रदेश के आपदा संवेदनशील क्षेत्रों की बेहतर निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे की व्यवस्था कर रही है। इससे आपदा आने से पहले ही उस जगह के लोगों और बचाव दलों को उसकी जानकारी मिल पाएगी और राहत कार्य आसानी से किया जा सकेगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निर्देश दिए हैं कि तहसील स्तर तक ड्रोन कैमरा उपलब्ध करवाए जाएं। आपदा की स्थिति में कम्यूनिकेशन बाधित न हो। रेस्पान्स टाईम पर विशेष ध्यान दिया जाए। आपदा प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए।
मंगलवार को मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों व शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के ज़रिए आपदा से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की। इस तकनीकी बैठक में राज्य में आपदा की निगरानी के लिए विशेष आवश्यक उपकरणों की खरीद के निर्देश दिए गए। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ” प्रशासन को किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए। इसके लिए सभी आवश्यक प्रबंध पहले ही सुनिश्चित कर लिए जाएं। आकस्मिक परिस्थितियों में कम्यूनिकेशन टूटना नहीं चाहिए। रेस्पान्स टाईम सबसे महत्वपूर्ण है। जल्द से जल्द घटना स्थल तक पहुंचना और प्रभावितों को राहत उपलब्ध करवाने की व्यवस्था हो।”
” आपदा के लिए अतिसंवेदनशील स्थानों पर भोजन, पेयजल, कैरोसीन, दवाईयां व अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। साथ ही राशन की क्वालिटी समय-समय पर चैक कर ली जाए। 15 जून तक सभी बाढ़ चैकियों को क्रियाशील कर लिया जाए।” सीएम ने आगे निर्देश देते हुए कहा ।
बैठक में सभी जिलाधिकारियों द्वारा विस्तार से जानकारी दी गई। बताया गया कि संवेदनशील भूस्खलन क्षेत्रों में वैकल्पिक मार्ग चिन्हित किए गए हैं। वर्षा से बाधित होने वाले मार्गों को कम से कम समय में खोला जा सके, इसके लिए जेसीबी, के्रन व मानव संसाधनों को संवेदनशील स्थानों पर पहले से ही तैनात किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने बैठक में यह कहा कि अर्धसैन्य बलों के साथ भी समन्वय स्थापित किया जाए। सेना से भी आपदा की स्थिति में पूरा सहयोग मिलेगा। इस संबंध में सेना प्रमुख से उनकी बात हुई है। प्रचार माध्यमों से बाहर से आने वाले पर्यटकों को आगाह किया जाए कि वे नदियों के समीप न जाएं। कन्ट्रोल रूम 24 घंटे संचालित हों।