इलाहाबाद बैंक का जोर वसूली पर, 65 एनपीए खातों की सूची आईबीसी को सौंपी
कोलकाता, 11 जून (आईएएनएस)| सरकार द्वारा संचालित इलाहाबाद बैंक लघु, सूक्ष्म, कृषि एवं खुदरा उधारी पर जोर देने के साथ ही वसूली और अपनी ऋण बुक के पुर्नसतुलन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। बैंक ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) प्रस्ताव के तहत राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को करीब 12,566 करोड़ रुपये से जुड़े 65 बुरे खातों की सूची सौंपी है। ऋणदाता ने यह भी कहा है कि बैंक द्वारा घोषित जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों की संख्या 257 है, जो मार्च 2017 की तुलना में करीब ढाई गुना की वृद्धि दर्शाती है। मार्च में ऐसे लोगों की संख्या 101 थी।
बैंक ने कहा, अर्थव्यवस्था और उसके विभिन्न क्षेत्रों में आशावादी ष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, बैंक अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए अपने व्यावसायिक उद्देश्य को संरेखित करेगा।
बैंक की अंतिम सालाना रपट में कहा गया है, बैंक मुख्य रूप से आक्रामक वसूली अभियान पर ध्यान केंद्रित करेगा, ताकि सीएएसए (चालू खाता और बचत खाता) को आगे बढ़ाया जा सके, स्मार्ट (लघु, सूक्ष्म, कृषि और खुदरा) ऋण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही ऋण बुक का पुर्नसतुलन किया जा सके और प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित ऋण बुक में अपना हिस्सा बढ़ाया जा सके।
कोलकाता मुख्यालय वाला यह बैंक जोखिम भरी परिसंपत्तियों में एक साथ कमी करने के साथ ही पूंजी जुटाने के विभिन्न तरीकों पर भी गौर करेगा।
रपट में कहा गया है, बैंक ने वित्त वर्ष 2018 के दौरान दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत प्रस्ताव के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को 12,566.11 करोड़ रुपये की राशि से जुड़े 65 गैर-निष्पादित संपत्ति उधारी मामलों का उल्लेख किया है।
रपट में बैंक ने कहा है, एनसीएलटी संदर्भित मामलों पर विशेष निगरानी के लिए एनसीएलटी प्रकोष्ठ का गठन किया जा रहा है, जिसका एक अलग मुख्यालय होगा।
ऋणदाता की नौ संपत्ति रिकवरी प्रबंधन शाखाएं (एआरएमबी) हैं, जो विशेष रूप से एनपीए को हल करने का कार्य करती हैं। इसकी सभी शाखाओं ने पिछले वर्ष (प्रत्येक महीने में एक शिविर) में 12 रिकवरी अभियान चलाए थे।
रपट में कहा गया है, यह कदम वसूली के मामले में बहुत सफल रहा था, जिसमें 3564.55 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी।