बिहार में बनेगी बांस नीति : सुशील मोदी
पटना, 9 जून (आईएएनएस)| बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां शनिवार को कहा कि राज्य में टास्क फोर्स गठित कर एक बांस नीति बनाई जाएगी और यहां के किसानों, कारीगरों व उद्यमियों को अध्ययन व प्रशिक्षण के लिए असम, त्रिपुरा और मिजोरम भी भेजा जाएगा, जिससे उनमें निपुणता आएगी। उन्होंने कहा कि बांस गरीबों की ‘टिम्बर’ है। पर्यावरण व वन विभाग की ओर से पहली बार आयोजित ‘बैम्बू कान्क्लेव’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उपमुख्यममंत्री और पर्यावरण व वन विभाग के मंत्री मोदी ने कहा कि अररिया ट्श्यिू कल्चर लैब में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर कौशल विकास और बांस की खेती की प्रशिक्षण की योजना बनाई गई है।
कार्यक्रम में केंद्रीय राज्यमंत्री गिरिरज सिंह और बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने भी अपने विचार रखे।
मोदी ने कहा कि भारत सरकार के ‘नेशनल बैम्बू मिशन’ को कृषि विभाग से अलग कर पर्यावरण व वन विभाग के अंतर्गत कृषि वानिकी की तर्ज पर कार्यान्वित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने बांस को ‘ग्रीन गोल्ड’ की संज्ञा देते हुए नेशनल बैम्बू मिशन के तहत पूरे देश के लिए 2018-19 और 2019-20 में 1290 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिससे एक लाख हेक्टेयर भूमि में बांस के पौधों का रोपण कर एक लाख किसानों को लाभान्वित किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने बांस को ‘ट्री’ की श्रेणी से निकाल कर ‘ग्रास’ यानी घास की श्रेणी में रख दिया है, जिससे किसानों को बांस काटने व बिक्री करने में सहूलियत हो रही है।
उन्होंने कहा, भागलपुर में स्थापित बिहार के पहले बैम्बू टिश्यू कल्चर लैब की क्षमता वार्षिक 1़5 लाख से बढ़ाकर तीन से पांच लाख सीडलिंग की जा रही है तथा सुपौल में जल्द ही टिश्यू कल्चर लैब काम करना शुरू कर देगा।
इसके अलावा अररिया में शुरू होने वाले बांस के टिश्यू कल्चर लैब की क्षमता क्रमबद्ध तरीके से सालाना 8-10 लाख सीडलिंग की होगी।
मोदी ने कहा कि जिस प्रकार बकरी गरीबों की गाय होती है, उसी प्रकार बांस गरीबों का ‘टिम्बर’ है। भू-क्षरण रोकने की क्षमता के कारण बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए बांस वरदान है। बांस 30 प्रतिशत ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। बांस की खेती कर किसान 120 वर्षो तक लाभ ले सकते हैं। पूरे बिहार के साथ भागलपुर, कोसी व पूर्णिया के इलाके में बड़े पैमाने पर बांस की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।