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भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास निधि की दक्षिण-दक्षिण सहयोग मॉडल के रूप में सराहना

संयुक्त राष्ट्र, 9 जून (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ‘भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास भागीदारी निधि’ की ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग मॉडल’ के रूप में सराहना की है। इस निधि से दुनिया के सबसे गरीब देशों की प्राथमिकताओं के आधार पर सहायता की जाती है।

शुक्रवार को निधि की पहली वर्षगांठ मनाते हुए उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इसकी प्राथमिकता अल्पविकसित देशों, छोटे द्वीप विकसित राज्यों और चारों तरफ से जमीन से घिरे देशों का सहयोग करना है, जो सबसे पीछे के देशों को आगे लाने के लक्ष्य को प्रदर्शित करती है।

गुटेरेस और संयुक्त राष्ट्र के अन्य अधिकारियों के साथ-साथ निधि लाभकर्ताओं के प्रतिनिधियों ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग की अगुआई करने के लिए भारत की प्रशंसा की।

समारोह के दौरान वीडियो लिंक से जुड़े अधिकारियों, राजनायिकों और इस विभाग के संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम प्रतिनिधियों से निधि की प्रतिक्रियाओं और इसकी निधि निर्धारित नहीं करने और लाभार्थियों को अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करने की छूट देने से पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा हुई।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत ने अगले दस सालों में इस निधि में 10 करोड़ डॉलर देने तथा अगले पांच सालों में राष्ट्रमंडल देशों के लिए अलग से पांच करोड़ डॉलर देने का वादा किया है।

यह निधि दुनिया के 25 देशों में चल रही 20 से ज्यादा परियोजनाओं की राशि से ज्यादा है। इसके तहत तूफान पुनर्वास और मौसम पूर्व चेतावनी तथा कृषि क्षेत्र में निवेश किया जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र में कई प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रौद्योगिकी में भारतीय नेतृत्व का उपयोग देशों की समस्याओं को सुलझाने में किया जा सकता है।

निधि परियोजनाओं में भारत से साझीदारी करने वाली संयुक्त राष्ट्र में परियोजना सेवा के कार्यकारी निदेशक ग्रेटे फरेमे ने कहा कि भारत ने अपनी प्राचीन कहावत ‘वसुधैव कुटुंबकम्- पूरी दुनिया एक परिवार है’ को चरितार्थ किया है।

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