IANS

दिवाला प्रक्रिया में समाधान पर जोर : साहू

कोलकाता, 9 जून (आईएएनएस)| भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अध्यक्ष एम. एस. साहू ने शनिवार को यहां कहा कि कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में समाधान तलाशने पर जोर दिया जा रहा है, जबकि आरंभिक चरणों में काफी ऋणशोधन होने लगा है। उन्होंने कहा, समाधान की योजना महज बोली लगाने की प्रक्रिया या मूल्य तलाशने की प्रक्रिया नहीं है। हमारा जोर समाधान पर होगा। मकसद कंपनी को बनाए रखना, परिसंपत्ति का मूल्य अधिकतम करना और हितधारकों के हितों को संतुलित करना है। निश्चित तौर पर यह ऋणशोधन नहीं है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ऋणशोधन आरंभिक चरण में ही होने लगा है और इसके लिए बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है।

साहू ने कहा, अब तक 850 कॉरपोरेट कर्जदारों ने समाधान की प्रक्रिया को स्वीकार किया है। तकरीबन 130 ने प्रक्रिया के पहले चरण को पूरा किया है और बाकी प्रगति में हैं। इन 130 में से करीब 100 ने ऋणशोधन पूरा कर लिया है।

उन्होंने कहा, कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया में ऋणशोधन के समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

छह जून को अधिघोषित हालिया अध्यादेश के बारे में आईबीबी प्रमुख ने कहा कि ऋणशोधन के विरुद्ध समाधान को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर समाधान योजना, कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) की अवधि में विस्तार जैसे सभी प्रमुख फैसलों के लिए वोटिंग की सीमा को 75 फीसदी से घटाकर 66 फीसदी कर दी गई है।

इसके अलावा नियमित फैसलों के लिए वोटिंग की सीमा घटाकर 51 फीसदी कर दी गई है।

अगर कोई आवेदक आईबीसी 2016 के तहत अपनी स्वीकारोक्ति के बाद मामला वापस लेना चाहता है तो उसके लिए सीआईआरपी की शुचिता की रक्षा के लिए अध्यादेश में सख्त प्रावधान किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि विलंब से प्रस्ताव स्वीकार नहीं करने, देर से प्रस्ताव करने वालों के साथ बातचीत नहीं करने जैसे मसलों का समाधान किया जाएगा।

साहू ने कहा, ये सब कानून में शामिल होंगे। इन मसलों पर विचार किया जा रहा है। कानून जल्द ही आएगा।

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