IANS

मप्र की मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप गलत : आयोग

नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)| निर्वाचन आयोग ने एक जांच के बाद मध्यप्रदेश की मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के कांग्रेस के आरोप को खारिज कर दिया। मध्यप्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में कांग्रेस 60 हजार फर्जी मतदाता बनाए जाने की शिकायत लेकर अब अदालत जाएगी। कांग्रेस को 8 जून को लिखे पत्र में आयोग ने कहा, जमीनी स्तर से संकलित किए गए सबूत और मध्यप्रदेश की मतदाता सूची की प्रविष्टियों/मतदान में बड़े पैमाने पर नकली, दोहरे, एकाधिक, अवैध, फर्जीवाड़ा होने की शिकायत मापदंडों पर आधारित नहीं है और सही नहीं है।

आयोग ने कहा कि 3 जून को मिली शिकायत के बाद तत्काल सूचीबद्धता के आधार पर नरेला, होशंगाबाद, भोजपुर और सियोनी-मेलवा विधानसभा सीटों के लिए अनुशासनात्मक टीम गठित की गई।

आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को समयबद्ध तरीके से सभी अन्य विधानसभा सीटों से मिल रही शिकायतों पर ‘सघन सत्यापन’ करने का निर्देश दिया था।

अंतर अनुशासनात्मक टीम द्वारा दाखिल रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस द्वारा आरोपित सियोनी-मालवा क्षेत्र की 2,442 प्रविष्टियों में से 2,397 प्रविष्टियां सही पाई गईं, जबकि 45 प्रविष्टियां को हटाने की प्रक्रिया चल रही है।

होशंगाबाद क्षेत्र में, कथित रूप से 552 गलत प्रविष्टियों में से सत्यापन में एक भी एकाधिक (मल्टीपल) प्रविष्टयां नहीं पाई गईं। आयोग की टीम को 36 में से 29 मामले सही लगे और बाकी सात को हटाने की प्रक्रिया चल रही है।

आयोग ने कहा कि ‘इन चारों विधानसभा सीटों पर बड़े पैमाने पर एकाधिक (मल्टीपल) प्रविष्टयां नहीं पाई गईं।’

पत्र के अनुसार, मतदाता सूची की दूसरी प्रति (डुप्लीकेशन) की शिकायत के मामले में यह देखा गया कि मध्यप्रदेश में मतदाताओं की संख्या में ‘अस्पष्ट’ बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2008 में मतदाता आबादी अनुपात 52.76 प्रतिशत था जो 2018 में बढ़कर 61.45 प्रतिशत हो गया।

आयोग ने कहा, इसे जनगणना आंकड़े के परिपेक्ष्य और संख्या में वार्षिक बढ़ोतरी के आधार पर देखा गया और इसमें कुछ भी असामान्य नहीं था।

आयोग के अनुसार, इस तरह से यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि मौजूदा मतदाता सूची पर विवाद का कोई आधार नहीं है।

मध्यप्रदेश के सांसद और कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि आयोग ने सबूतों को नजरअंदाज कर उन्हें निराश किया है, लोकतंत्र को बचाने के लिए यह लड़ाई अब वह अदालत में लड़ेंगे।

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