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जन लोकपाल विधेयक को आप सरकार ने लटकाया : भाजपा

नई दिल्ली, 8 जून (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि जन लोकपाल विधेयक से जुड़ी एक फाइल बीते नौ महीनों से आप सरकार के पास लटकी हुई है। इस दावे का आप सरकार ने सीधे तौर पर खंडन नहीं किया है। मजबूत जन लोकपाल विधेयक (भ्रष्टाचार रोधी विधेयक) उन मुख्य वादों में से एक था, जिनपर आम आदमी पार्टी (आप) ने चुनाव लड़ा था और दिल्ली में सत्ता हासिल की थी।

इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार विधेयक को करीब 21 महीनों से रोके हुई है और इसके बाद वे इस मुद्दे को उठा रहे हैं, क्या दिल्ली विधानसभा के पास विधेयक को पारित करने की शक्ति है।

भाजपा के तीनों विधायकों ने कथित रूप से आप सरकार के पास विधेयक के फंसे होने पर जवाब देने का अनुरोध किया, और जब उनके अनुरोध को इंकार कर दिया गया तो वे विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन कर गए।

इसके बाद विधायक विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। वे इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से माफी की मांग कर रहे थे।

केजरीवाल को लिखे एक पत्र में विपक्ष के नेता व भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता और विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा व जगदीश प्रधान ने मांग की कि विधेयक से जुड़ी फाइल बिना किसी देरी के विधानसभा के पटल पर रखी जाए।

पत्र में कहा गया है, आप (केजरीवाल) इस बारे में सब कुछ जानते हैं। इसके बावजूद आप जानबूझकर इसमें देरी कर रहे हैं।

केजरीवाल के कार्यालय के बाहर सिरसा ने कहा, सत्येंद्र जैन को बचाने के लिए विधेयक में देरी की जा रही है। हम जन लोकपाल विधेयक व इसके क्रियान्वयन के लिए लड़ेंगे। हम केजरीवाल को सत्ता से बाहर करेंगे और सत्येंद्र जैन को जेल भेजेंगे।

भाजपा विधायकों ने विधेयक से जुड़ी फाइल का एक तथाकथित आधिकारिक इतिहास भी उपलब्ध कराया, जिसके अनुसार फाइल गुरुवार तक दिल्ली सरकार के पास लंबित पड़ी हुई थी।

जन लोकपाल विधेयक को दिल्ली विधानसभा ने चार दिसंबर, 2015 को पारित किया था।

सिसोदिया ने कहा कि 23 अगस्त, 2017 को केंद्र ने एक जवाब में कहा था कि केंद्र सरकार का संबंधित विभाग विधेयक को देख रहा है।

सिसोदिया के अनुसार, केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया में कहा गया था, दिल्ली विधानसभा की अक्षमता से संबंधित तकनीकी मुद्दे पर और विचार-विमश की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली के पास पूर्ण राज्य का दर्जा होता तो विधेयक एक महीने के अंदर प्रभावी हो जाता।

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