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आपातकालीन हालत में खो गए लोगों को खोजने और बेहतर संचार व्यवस्था बनाने में मददगार है एरोस्टेट बैलून
आकाशीय निगरानी व जलवायु परीक्षण करने में मददगार होगा बैलून
उत्तराखंड में शुक्रवार को उत्तराखंड में इंटरनेट तकनीक के क्षेत्र में बड़ी शुरूआत की गई। आईटी पार्क, देहरादून में आयेाजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एरोस्टेट तकनीक बैलून को सफलतापूर्वक लांच किया। आईटीडीए द्वारा आईआईटी, मुम्बई के सहयोग से देश में पहली बार एरोस्टेट का अनोखा प्रयोग किया।
देहरादून के IT पार्क में एरोस्टेट तकनीक (बैलून टेक्नोलॉजी) का शुभारंभ किया। @UttarakhandITDA और @iitbombay द्वारा संचालित तकनीक को संचार सेवाओं में प्रयोग किया जाएगा। जंगलों की आग व आपदा जैसे हालातों में यह तकनीक, संचार सुविधा प्रदान करने व आकाशीय निगरानी में सहायक साबित होगी pic.twitter.com/hAHtscEDi4
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) June 8, 2018
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि एरोस्टेट बैलून के लिए उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जो कि वर्तमान में सूचना व इंटरनेट तकनीक से अछूते हैं। ऐसे स्थानों को बैलून तकनीक के माध्यम से इंटरनेट की उपलब्धता कराई जाएगी। राज्य की भौगोलिक विषमताओं को देखते हुए यह तकनीक काफी मददगार रहेगी। उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवदेनशील राज्य है। किसी आकस्मिक आपदा की स्थिति में लोगों से सम्पर्क साधने में यह उपयोगी रहेगी।
”नई पीढ़ी की मंशा के लिए सूचना व संचार तकनीक उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार आगे आई है। घेस जैसे दूरस्थ व सीमावर्ती गांव को डिजीटल विलेज बना दिया गया है। वैसे ही बिखरी हुई आबादियों तक इंटरनेट तकनीक उपलब्ध करवाना प्राईवेट कम्पनियों के लाभप्रद नहीं रहता है। ऐसे में बैलून तकनीक से कम लागत में ग्रामीण क्षेत्रों तक इंटरनेट की सुविधा पहुंचाई जा सकती है।” मुख्यमंत्री रावत ने आगे कहा।
क्या है एरोस्टेट बैलून
एरोस्टेट बैलून एक आकाशीय प्लेटफार्म है,जिसमें वातावरण में उपलब्ध गैस से भी हल्की गैस भरकर आकाश में ऊंचे उठाया जाता है। बैलून को एक रस्सी की सहायता से धरातल से जोड़ा जाता है, जिससे वह विभिन्न संयन्त्रों के साथ काफी समय के लिए बिना ईंधन के वायुमंडल में लहराता है। बैलून के न्यूनतम कंपन की गुणवत्ता के चलते इससे संचार, आकाशीय निगरानी, जलवायु निगरानी, व इसी प्रकार के अन्य कार्य किए जा सकते हैं।
बैलून को एक वाहन में स्थापित कर आवश्यकतानुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर कम समय में क्रियाशील किया जा सकता है। आपातकालीन परिस्थितियों में इसमें लगे उपकरणों को सौर ऊर्जा के माध्यम से तकनीकी का उपयोग किया जा सकता है। एक बैलून के माध्यम से प्रभावित अधिकतम क्षेत्र आच्छादित किया जा सकता है, जिसके अन्तर्गत 05 एमबीपीएस तक डाटा गति प्राप्त हो सकती है।
इस बैलून की मदद से से आपातकालीन परिस्थितियों में संचार व्यवस्था बनाने, आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहता कार्यो के समय संचार व्यवस्था, आकाशीय निगरानी के माध्यम से दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों की खोज में भी सुविधा होगी।