गर्भावस्था में प्रिक्लेम्पसिया के निदान के लिए नया उपकरण लॉन्च
नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)| प्रिक्लेम्प्टिक गर्भावस्था और गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप से संबंधित अन्य विकारों के बीच अंतर का पता कर प्रिक्लेम्पसिया के निदान के लिए मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर ने एक नया उपकरण 8 फीट-1/पीआईजीई रेशियो लॉन्च किया है।
इस उपकरण के माध्यम से मरीजों में संभावित जानलेवा परिस्थितियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। ऐसा माना जाता है कि एंजियोजेनिक कारकों के असंतुलन के कारण प्रिक्लेम्पसिया हो सकता है।
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. सुशील शाह ने कहा, इससे चिकित्सकों को अपने मरीजों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। यह नया टेस्ट जानलेवा खतरे की संभावना वाली माताओं के जीवन को बचाने वाला साबित हो सकता है।
क्लिनिकल कैमिस्ट्री विभाग के प्रमुख डॉ. दीपक संघवी ने कहा, केवल रोग संबंधी मानदंडों (रक्तचाप और प्रोटीनुरिया) के आधार पर प्रतिकूल परिणामों का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। प्रिक्लेम्पसिया के लिए इस टेस्ट की मदद से समय-पूर्व और सटीक डायग्नोसिस में मदद मिलेगी, जिससे नैदानिक प्रबंधन प्रभावी होगा और मां एवं बच्चों के लिए बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
डायग्नोस्टिक के बिल्कुल सटीक तरीके को विकसित करने की आवश्यकता ने डॉक्टरों को गर्भावस्था की शुरुआत से ही रक्तचाप पर निगरानी रखने के लिए प्रेरित किया है ताकि गर्भावस्था में उच्च जोखिम की बारीकी से निगरानी सुनिश्चित की जा सके।
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर ने एक बयान में कहा, गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में प्रिक्लेम्पसिया के उच्च जोखिम वाली महिलाओं की पहचान करना तथा इस बीमारी के प्रसार को कम करने की दिशा में काम करना, आधुनिक प्रसूति-विज्ञान के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। यह महत्वपूर्ण है कि चिकित्सक शुरुआती तीन महीने की अवधि में ही गर्भवती महिलाओं की पहचान और जांच कर सके।
बयान में कहा गया, प्रिक्लेम्पसिया गर्भावस्था से जुड़ी एक जटिलता है जिसकी खासियत उच्च रक्तचाप है, और आमतौर पर इसका पता गर्भावस्था के 20 वें हफ्ते के बाद चल पाता है। इसका इलाज नहीं किए जाने पर, प्रिक्लेम्पसिया के परिणामस्वरूप मां और बच्चे में जटिलताएं हो सकती हैं। परंपरागत रूप से, अगर कम से कम चार घंटे के अंतराल में दो बार रक्तचाप 140/90 मिलीमीटर या इससे अधिक, हो तो इसे असामान्य माना जाता है।
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर ने बयान में कहा, इस बीमारी के अन्य लक्षणों में मूत्र में अतिरिक्त प्रोटीन का निर्वहन, सिर दर्द जो आम दर्द दवाओं से कम नहीं होते हैं, कम दिखाई पड़ना, अस्थाई तौर पर दिखाई नहीं देना, धुंधला दिखाई देना, मतली, उल्टी, लीवर के कामकाज में गड़बड़ी और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
प्रिक्लेम्पसिया के नियंत्रण पर मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर ने कहा, शुरुआत में ही उच्च जोखिम वाली महिलाओं की पहचान से निवारक उपायों और गहन निगरानी में मदद मिलती है। अध्ययनों से पता चलता है कि, गर्भावस्था के 16 हफ्ते की अवधि से पहले उच्च जोखिम वाली महिलाओं को कम खुराक एस्पिरिन (150 मिग्रा/ दिन) दिए जाने से, प्रिक्लेम्पसिया की घटनाओं को 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।