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चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ को तुरंत रिहा किया जाए : एमनेस्टी

नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)| एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और भीम आर्मी ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश सरकार चंद्रशेखर आजाद को तुरंत रिहा करे।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की कार्यक्रम निदेशक अस्मिता बासु ने कहा, चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ दलितों के अधिकारों के लिए लड़ने के कारण पिछले एक साल से जेल में बंद हैं। दमनकारी कानूनों के तहत चंद्रशेखर आजाद को लगातार प्रशासनिक हिरासत में रखा जाना यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार मानावाधिकार के गंभीर मुद्दों पर कार्रवाई करने के बजाय उसके खिलाफ हो रहे विरोध को दबाना ज्यादा पसंद करती है।

लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और भीम आर्मी ने रेखांकित किया कि कई महीनों से चंद्रशेखर आजाद को निष्पक्ष न्यायिक कार्रवाई से वंचित किया जा रहा है। उन्हें 2017 के सहारनपुर दंगों में कथित तौर पर शामिल होने के लिए पहली बार 8 जून 2017 को गिरफ्तार किया गया था। 2 नवंबर 2017 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी।

जमानत देने के दौरान अदालत ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। लेकिन, जमानत मिलने के एक ही दिन बाद, जेल से रिहा होने से पहले ही उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया, इस बार राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) जैसे कड़े कानून के तहत। रासुका राज्य सुरक्षा और लोक व्यवस्था के रखरखाव हेतु 12 महीनों तक प्रशासनिक हिरासत की इजाजत देता है। रासुका में इन आरोपों के दायरे को विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है। आरोप लगता रहा है कि मानावाधिकार के लिए लड़ने वालों को दबाने के लिए कई बार रासुका का दुरुपयोग किया गया है।

भीम आर्मी के अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने कहा, चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ को जेल में ही बंद रखने के लिए राज्य सरकार ने कोई कसर नहीं रख छोड़ी है। आखिर उसने ऐसा क्या अपराध किया है? जब दंगे हो रहे थे, तब इसी राज्य सरकार के अधिकारियों ने सहारनपुर में शांति बनाए रखने के लिए चंद्रशेखर आजाद की और भीम आर्मी की मदद मांगी थी। अब यही लोग कह रहे हैं कि अगर उन्हें रिहा किया जाता है, तो कानून व्यवस्था को खतरा पैदा हो सकता है।

27 अप्रैल 2018 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चंद्रशेखर आजाद की रासुका के तहत हिरासत के आदेश को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ की रिहाई की मांग करने के एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के अभियान का देश भर से 140,000 से अधिक लोगों ने समर्थन किया है।

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