चीन व भारत कभी एक-दूसरे से दूर नहीं होंगे : भारतीय राजनयिक
बीजिंग, 6 जून (आईएएनएस)| चीन में भारत के राजनयिक गौतम बंबावले ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन अपने मतभेदों के बावजूद यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि दोनों देश मिलकर लगातार प्रगति और समृद्धि के लिए काम करें।
बंबावले ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब इस हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शंघाई सहयोग सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता करने वाले हैं।
चीन के सरकारी टेलीविजन (सीसीटीवी) को दिए साक्षात्कार में बंबावले ने कहा कि भारत और चीन विकास के पथ पर एक दूसरे से ‘जुदा नहीं को सकते।’
मोदी चीन के क्विंगदाओ में 9-10 जून को होने वाले एससीओ सम्मेलन में शामिल होंगे। वुहान में चीनी राष्ट्रपति के साथ अनौपचारिक मुलाकात के एक महीने बाद फिर से वह चीनी राष्ट्रपति से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगे।
बंबावले ने वुहान मुलाकात को दोनों नेताओं के बीच का ‘रणनीतिक संचार’ बताया।
बंबावले ने कहा, मुझे लगता है कि राष्ट्रपति जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी के बीच वुहान में अनौपचारिक मुलाकात दुनिया के दो सबसे बड़े देशों के नेताओं द्वारा एक-दूसरे के साथ बातचीत करने और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का प्रयास था।
उन्होंने कहा, सबसे महत्वपूर्ण है कि यह दोनों देशों के नेताओं के बीच रणनीतिक संचार था। वुहान में उनके बातचीत करने के परिणमस्वरूप, दोनों नेता एक आम सहमति पर पहुंचे हैं। पहली और सबसे महत्वपूर्ण सहमति है कि भारत और चीन प्रगति और आर्थिक विकास में एक-दूसरे के सहयोगी हैं। दूसरी महत्वपूर्ण सहमति यह है कि भारत और चीन के बीच मतभेदों से ज्यादा समानताएं हैं।
बंबावले ने कहा, हम इन समानताओं पर काम करेंगे। निश्चिय ही, हमारे बीच कुछ निश्चित मतभेद हैं, लेकिन फिर भी हम मतभेदों के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे कि दोनों देश एक साथ प्रगति और समृद्धि हासिल करें।
उन्होंने कहा, हम एक-दूसरे से अलग होने वाले नहीं हैं। हम इसे साथ करने वाले हैं।
आठ सदस्यों वाले एससीओ के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि चीन सफलतापूर्वक इस सम्मेलन को आयोजित करेगा।
एससीओ में पिछले वर्ष भारत और पाकिस्तान को औपचारिक रूप से शामिल किया गया था।
उन्होंने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन का तात्पर्य ‘बहुध्रुवीयता’ से है।
उन्होंने कहा, और हम विश्वास करते हैं कि क्विंगदाओ सम्मेलन से बाहर आने वाला संदेश यह होगा कि एससीओ के महत्वपूर्ण बड़े देश अपने मतभेदों के बावजूद शांतिपूर्वक ढंग से रह सकते हैं और साथ काम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है एक और महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि आज की दुनिया में एकलध्रुवीयता की कोई जरूरत नहीं है और एकसाथ जीने की कला सीखना एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो कि क्विंगदाओ से बाहर आएगा।