खुशखबरी : फिल्मों में काम करने के लिए अब मुंबई नहीं, उत्तराखंड में कीजिए पढ़ाई
उत्तराखंड सरकार ने एफटीआई की मदद से शुरू किया फिल्म एप्रिसिएशन कोर्स
अब फिल्मोें और टीवी सीरियल में काम करने के लिए युवाओं को मुंबई या दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जाने की ज़रूरत नहीं है। युवाओं को फिल्म जगत में काम करने का मौका देने के लिए उत्तराखंड में फिल्म एप्रिसिएशन कोर्स शुरू हो चुका है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि उत्तराखंड की जल्द ही फिल्म डेस्टीनेशन के रूप में पहचान बनेगी। बुधवार को मुख्यमंत्री ने रिंग रोड स्थित सूचना भवन में पांच दिवसीय फिल्म एप्रिसिएशन कोर्स का शुभारम्भ किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा , ”फिल्म शूटिंग से राज्य में संख्या में रोजगार प्राप्त होता है। फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने शूटिंग का शुल्क पूरी तरह से हटा दिया है। एफटीआई के सहयोग से आयोजित कोर्स से राज्य के युवाओं को फिल्म निर्माण संबंधी तकनीकी जानकारियां प्राप्त होंगी।” उन्होंने आगे कहा कि इससे यहां फिल्म निर्माताओं को दक्ष मैनपावर भी मिलेगा। सरकार का प्रयास है कि उत्तराखंड के नैसर्गिक सौंदर्य को फिल्मों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए।
” मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर उत्तराखंड में पहली बार इस तरह की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। एफटीआई पुणे व उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद की मदद से छह से 10 जून तक सूचना भवन, रिंग रोड़ में आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला में युवाओं को एफटीआई पुणे से आए विशेषज्ञों द्वारा फिल्म विधा से जुड़ी बारीकियों की जानकारी दी जाएगी।” महानिदेशक सूचना / मुख्य कार्यकारी अधिकारी फिल्म विकास परिषद डाॅ.पंकज कुमार पाण्डेय ने कहा।
ये कोर्स इसके बाद अल्मोड़ा और टिहरी में कराए जाएंगे। इसके अलावा देहरादून में जुलाई, 2018 में पटकथा लेखन कोर्स भी कराया जाएगा। इसके साथ ही अभिनय, डिजीटल छायांकन, डिजीटल फिल्म प्रोडक्शन, टीवी धारावाहिक के लिए काल्पनिक लेखन, स्टिल फोटोग्राफी कोर्स के साथ ही छोटे बच्चों के लिए फिल्म मेकिंग और अभिनय संबंधी कोर्स भी तैयार किए गए है। फिल्म एप्रिसिएशन कोर्स के प्रति युवाओं में काफी उत्साह है। पहली बार आयोजित इस कार्यशाला में प्रतिभाग के लिए कुल 126 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
इस मौके पर एफटीआई के निदेशक भूपेंद्र कैंथेला ने कहा, ” इस कार्यशाला से राज्य में फिल्म निर्माताओं को तकनीकी रूप से दक्ष मैनपावर उपलब्ध होगा। लेकिन इसके लिए अभी काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है। युवाओं को सिनेमा को भी रोजगार के एक विकल्प के तौर पर लेना चाहिए।”