देश को कचरा मुक्त बनाने के लिए ‘कचरा मुक्त भारत’ अभियान शुरू
नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)| लोगों में कचरे से होने वाले नुकसान और रिसाइकल वेस्ट के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से गैर सरकारी संस्था श्री पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संगठन ने देश को कचरा मुक्त बनाने के लिए ‘कचरा मुक्त भारत’ अभियान शुरू किया है।
फिक्की द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, इग्लैंड, जर्मनी जैसे विकसित देशों में प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत 100 किलो है जबकि इन देशों के मुकाबले भारत में प्लाटिक की प्रति व्यक्ति खपत 11 किलो है। इसके बावजूद भारत में कचरे की समस्या गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि यहां कचरे को सही तरीके से मैनेज और रिसाइकल नहीं किया जाता।
श्री पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संगठन के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा, जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल एक बार ही किया जा सकता है, ऐसा प्लास्टिक हमारी धरती के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ऐसा प्लास्टिक जैसेकि प्लास्टिक बैग, ग्लास और स्ट्रा इत्यादि के इस्तेमाल को रोकने की सख्त जरूरत है और इसकी जगह ऐसे पदार्थ का इस्तेमाल करना चाहिए जिसे रिसाइकल किया जा सके या पर्यावरण के अनुकूल हो।
उन्होंने कहा, इंसानों द्वारा बनाए गया प्लास्टिक वरदान हो सकता है। हम लोग कई अभियान चला रहे है ताकि लोगों को अच्छे और बुरे प्लास्टिक का अंतर पता चल सके और यह भी बताने की कोशिश की जा रही है कि इसे सही तरीके से कैसे निपटाया जाए। मजबूती से संग्रह करने और रिसाइकिलिंग के बुनियादी ढ़ांचे को लागू करना इस समय की जरूरत है क्योंकि देश में रिकवरी के मुकाबले प्लास्टिक के उत्पादन और इस्तेमाल करने की गति आपस में मेल नहीं खाती।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार भारत के वेस्ट यानि कि अपश्ष्टि पदार्थ मैनेजमेंट सेक्टर मंे सालाना 7.17 फीसदी के विकास दर से साल 2025 तक 13.62 अरब यूएस डॉलर होने का पूवार्नुमान है। भारत में प्रतिवर्ष 6.2 करोड़ टन ठोस वेस्ट (अपशिष्ट) होता है लेकिन करीब 75 से 80 फीसदी नगरपालिका अपशिष्ट ही इकट्ठा हो पाता है और 22 से 28 फीसदी अपशिष्ट को संसाधित और ट्रीट किया जाता है।
विनोद शुक्ला ने कहा, सबसे पहला कदम यह सुनिश्चित करना है कि प्लास्टिक जैसा उपयोगी पदार्थ फायदेमंद है, न कि हानिकारक है और यही हमारे व्यवहार में बदलाव लाएगा। कचरे के प्रति हमारे गैर जिम्मेदार व्यवहार से निपटने के लिए सख्त कानून और सजा का प्रावधान होना चाहिए। इसमें जागरूकता व जानकारी महत्वपूर्ण कदम होगा जो कुशल अपशिष्ट प्रबंधन सिस्टम को आधार देने के साथ साथ देश को आर्थिक व पर्यावरणीय फायदा देने की भी क्षमता रखता है।