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खतरे में हैं साल के जंगल, वन विभाग ने जारी की रिपोर्ट

उत्तराखंड में साल के जंगलों का कुल क्षेत्रफल है 3.1 लाख हेक्टेयर

वन विभाग के अनुसंधान वृत्त की सांख्यिकी शाखा की अध्ययन रिपोर्ट उत्तराखंड के सात वन प्रभागों में फैले सात के वृक्षों पर संकट की ओर इशारा कर रही है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तराखंड में साल के वक्षों की संख्या तेज़ी से घटी है।

मौसम में बदलाव के कारण साल के पेड़ों में समय से पहले पतझड़ होने के कारण ये रोगों की चपेट में आ रहे हैं। रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि उत्तराखंड के 12.10 फीसद हिस्से में साल के वृक्षों का फैलाव है। ये हल्द्वानी, रामनगर, हरिद्वार, देहरादून, तराई केंद्रीय, पूर्वी व पश्चिमी वन प्रभागों के अलावा राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व में फैले हैं।

इमारती लकड़ी के तौर पर होता है साल का प्रयोग। ( फोटो – गूगल इमेज)

पिछले कुछ वर्षों से साल की बढ़त कम होने और इसके रोगों की चपेट में आने के कारण इन वर्षों की कीमत भी घटी है। इमारती लकड़ी के लिहाज से साल के पेडों का इस्तेमाल किया जाता है।

अध्ययन रिपोर्ट के वर्ष 1996 से 2006 तक यहां साल के वृक्ष के आयतन में प्रति हेक्टेयर वार्षिक वृद्धि दर 2.11 घन मीटर थी। इसके बाद वर्ष 2006 से 2012 के बीच यहां इस वृद्धि दर में भारी गिरावट दर्ज की गई। इस अवधि में यहां यह दर 1.8 हज़ार दर्ज की गई। उत्तराखंड में साल के जंगलों का कुल क्षेत्रफल 3.1 लाख हेक्टेयर है।

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