IANS

‘सरकार में दिव्यांग लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की जरूरत’

नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)| सरकार के स्तर पर दिव्यांग लोगों के प्रतिनिधित्व की सख्त जरूरत है, ताकि दिव्यांगता कानून में और अधिक दिव्यांगता को शामिल किया जा सके और दिव्यांग लोगों के कल्याण के लिए और अधिक योजनाएं चलाई जा सकें।

यह बात यहां मल्टीपल स्केलेरोसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया (एमएसएसआई) द्वारा आयोजित ‘विश्व मल्टीपल स्केलेरोसिस दिवस’ में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांग लोगों के सशक्तिकरण विभाग के निदेशक के. विक्रम सिम्हा राव ने कही। एक बयान में कहा गया है कि मल्टीपल स्केलेरोसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया (एमएसएसआई) ने राजधानी में मंगलवार को ‘विश्व मल्टीपल स्केलेरोसिस दिवस’ पर आयोजन किया। इस आयोजन में सरकारी अधिकारियों के साथ ही क्षेत्र के विशेषज्ञ और इस बीमारी के मरीज एक मंच पर जुटे। मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में तंत्रिका कोशिकाओं की सुरक्षात्मक परत को नुकसान पहुंचाती है।

एमएसएसआई भारत में स्क्लेरोसिस से प्रभावित लोगों की प्रभावी ढंग से प्रबंधन और बीमारी से निपटने में मदद करने के लिए समर्पित है।

बयान में कहा गया है कि ज्यादातर लोगों को 20 से 50 साल के उम्र के बीच एमएस बीमारी का पता चलता है। महिलाएं इस बीमारी से पुरुषों की तुलना में दो से तीन गुणा अधिक पीड़ित होती हैं। भारत में 16 साल से भी कम उम्र के बच्चों में एमएस की बीमारी पाई जा रही है। वित्त वर्ष 2003-04 में देश में किए गए अंतिम अध्ययन के मुताबिक एमएस बीमारी के शिकार मरीजों की संख्या 2,00,000 है। उसके बाद से इस पर कोई अध्ययन नहीं किया गया। ऐसा माना जाता है कि अब यह आंकड़ा 2 से 4 गुना बढ़ गया होगा जो दुनिया के कुल स्क्लेरोसिस रोगियों का 10 फीसदी हो सकता है।

इस मौके पर के. विक्रम सिम्हा राव ने कहा, सरकार के स्तर पर दिव्यांग लोगों के प्रतिनिधित्व की सख्त जरूरत है ताकि दिव्यांगता कानून में और अधिक दिव्यांगता को शामिल किया जा सके और दिव्यांग लोगों के कल्याण के लिए और अधिक योजनाएं चलाई जा सकें। सरकार ने केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन प्रणाली लागू करने की योजना बनाई है, जिससे दिव्यांग लोगों की संख्या, उनकी दिव्यांगता की श्रेणी और उनके काम करने की क्षमता का हिसाब रखा जा सके, ताकि लाभार्थियों को सुविधा प्रदान करने के लिए अधिकारी कहीं से भी इस केंद्रीकृत डेटा को प्राप्त कर सकें।

उन्होंने बताया, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने यह प्रस्ताव दिया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (एनएचपीएस) आयुष्मान भारत में 20 अन्य दिव्यांगता के साथ ही मल्टीपल स्केलोरेसिस को भी शामिल किया जाए, ताकि एमएस के मरीज भी केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना का लाभ उठा सकें। इससे एमएस रोगियों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।

इस मौके पर एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने कहा, एमएस पर अभी बहुत अधिक शोध किए जाने की जरूरत है। पहले जब एमआरआई मशीनें नहीं थीं, तो एमएस का पता लगाना मुश्किल था और इसे दुर्लभ बीमारी माना जाता, लेकिन एमआरआई जांच से एमएस के मरीजों का पता आसानी से चल जाता है। एमएस मरीज और उसके परिवार को मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत होना चाहिए, क्योंकि इस बीमारी का प्रभाव मरीज के दिमाग, आत्मविश्वास और उसके रोजगार पर पड़ता है, जिससे उसके परिवार और दोस्तों को भी परेशानी होती है। ऐसे में यह एमएसएसआई, निजी संस्थानों और सरकार को इस बीमारी के शोध के लिए साथ आने का समय है, ताकि निवारक उपाय किए जा सकें और मरीजों को एमएस की किफायती जेनेरिक दवाएं मुहैया कराई जा सकें।

दिल्ली सरकार में दिव्यांग लोगों के मामले के आयुक्त टी. डी. धारियाल ने कहा, इतने सालों में हमने देखा है कि कोई दिव्यांग व्यक्ति जिस समस्या का सबसे अधिक सामना करता है, वह है पहुंच में आसानी की समस्या। एमएस को लेकर काफी अधिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है और एमएसएसआई जैसे संगठनों को आगे आकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

एमएसएसआई की राष्ट्रीय सचिव रेणुका मालाकेर ने बताया कि यदि हम सभी महत्वपूर्ण हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना जारी रखते हैं तो हम अंतत: एक एमएस रजिस्ट्री बनाने में सक्षम होंगे जो अनुसंधान और सस्ते उपचार के लिए आधार तैयार करेगा।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close