फीफा विश्व कप : युवाओं के कंधों पर इंग्लैंड को विजेता बनाने की चुनौती
नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)| फुटबाल के जन्मदाता इंग्लैंड के लिए फीफा विश्व कप की ट्रॉफी का इंतजार बेहद लंबा रहा है और इस बार रूस में 14 जून से शुरू होने वाले इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के खिताब को जीतने का दारोमदार युवा खिलाड़ियों के कंधों पर है। इंग्लैंड ने आखिरी बार बॉब मूर की कप्तानी में 1966 में विश्व कप जीता था।
सर एल्फ रामसे के मार्गदर्शन में अपने घर में हुए पहले विश्व कप में इंग्लैंड ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए खिताब पर कब्जा किया था। विश्व कप की ट्रॉफी तक पहुंचने के लिए मेजबान टीम ने अर्जेटीना, पुर्तगाल एवं पश्चिमी जर्मनी जैसी दिग्गज टीमों को मात दी।
क्वार्टर फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड ने अर्जेटीना को 1-0 जबकि सेमीफाइनल मुकाबले में पुर्तगाल को 2-1 से हराया। फाइनल में मेजाबन टीम ने दमदार प्रदर्शन करते हुए पश्चिम जर्मनी 4-2 से करारी शिकस्त दी। इस विश्व कप में इंग्लिश क्लब मैनचेस्टर युनाइटेड के दिग्गज मिडफील्डर सर बॉबी चार्लटन एवं लीसेस्टर सिटी के गोलकीपर गॉर्डन बैंक्स ने अपने देश की जीत में अहम भूमिका निभाई।
पहला खिताब जीतने के 24 वर्ष बाद इटली में हुआ विश्व कप का 14वां संस्करण इंग्लैंड के प्रशंसकों के लिए यादगार रहा। टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टूर्नामेंट में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। हालांकि, सेमीफाइनल में उसे पश्चिमी जर्मनी के खिलाफ पेनाल्टी शूटआउट में हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद से इंग्लैंड की टीम विश्व कप के किसी भी संस्करण में क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई। पिछले 30 सालों में इंग्लैंड में क्लब फुटबाल ने लगातार सफलता के नए आयाम गढ़े हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में टीम फिसड्डी साबित हुई है जोकि इस विश्व कप में भी प्रशंसकों के लिए चिंता का विषय है।
इंग्लिश खिलाड़ियों के मन में 2014 विश्व कप और 2016 यूरोपीय चैम्पियंशिप में मिली करारी शिकस्त की यादें अभी भी ताजा होंगी। पिछले विश्व कप में इंग्लैंड ग्रुप स्तर से आगे नहीं बढ़ पाया था और तीन मैचों में दो हार एवं एक ड्रॉ के साथ अपने ग्रुप में आखिरी पायदान पर रहा था।
2016 यूरोपीय चैम्पियंशिप के प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में उसे आइसलैंड जैसी टीम के खिलाफ 1-2 से उलटफेर कर शिकार होना पड़ा था। शायद इसलिए रूस में होने वाले विश्व कप के लिए इंग्लैंड के मुख्य कोच गैरेथ साउथगेट ने टीम में युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया है।
टीम में गैरी केहिल और जेमी वार्डी जैस अनुभवी खिलाड़ी भी मौजूद हैं लेकिन सबकी नजरें डैली एली, मार्कस रैशफोर्ड, रहीम स्टर्लिग, जेसे लिंगार्ड, ट्रेंट एलेक्जेंडर-आर्नल्ड और जॉर्डन पिकफोर्ड जैस प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों पर टिकी होगी।
इंग्लैंड का अटैक विश्व कप में टीम की सबसे बड़ी ताकत होगी। टीम में युवा खिलाड़ियों के अलावा हैरी केन और जेमी वार्डी जैसे स्टार स्ट्राइकर हैं जो अपने दम पर मैच जीताने का माद्दा रखते हैं। केन ने इस सीजन इंग्लिश प्रीमियर लीग (ईपीएल) में कुल 30 गोल दागे हैं और एक कप्तान के रूप में वह रूस में विरोधी टीम के लिए घातक साबित हो सकते हैं।
टीम में युवा खिलाड़ियों को शामिल करना कोच की मानसिकता को दर्शाता है लेकिन खिलाड़ियों में अनुभव की कमी और मिडफील्ड का कमजोर होना विश्व कप में इंग्लैंड के लिए मुश्किले पैदा कर सकता है।
इग्लैंड को विश्व कप के लिए आसान ग्रुप मिला है जिसके कारण टीम से नॉकआउट स्तर तक पहुंचने की उम्मीदें बढ़ गई है। इंग्लैंड को ग्रुप जी में बेल्जियम, ट्यूनीशिया एवं पनामा के साथ रखा गया है।
विश्व कप के पहले मैच में इंग्लैंड 18 जून को ट्यूनीशिया से भिड़ेगी।
टीम :
गोलकीपर : जेक बटलैंड, जॉर्डन पिकफोर्ड, निक पोप
डिफेंडर : ट्रेंट अलेक्जेंडर-आर्नल्ड, गैरी केहिल, फैबियन डेल्फ, फिल जोन्स, हैरी मैगुएर, डैनी रोज, जॉन स्टोन्स, किएरन ट्रिपियर, काइल वॉकर, एश्ले यंग।
मिडफील्डर : डैली एली, एरिक डायर, जॉर्डन हैंडरसन, जेसे लिंगार्ड, रूबेन लोफ्टस-चीक।
फारवर्ड : हैरी केन, मार्कस रैशफोर्ड, रहीम स्टर्लिग, जेमी वार्डी, डैनी वेल्बेक।