हार्ट फेल्यर से जुड़ी जानकारियां देगा ‘हार्ट फेल्यर फांउडेशन’
नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)| विश्व हार्ट फेल्यर जागरूकता माह के मौके पर लोगों को हार्ट फेल्यर से जुड़ी जानकारी, इलाज व रोकथाम के उपाय बताने के लिए हृदयरोग विशेषज्ञों ने शनिवार को ‘पेशंटस यूनाइटेड फॉर हार्ट फेल्यर फांउडेशन’ लॉन्च किया।
इस फाउंडेशन को फोर्टिस एस्कोर्ट अस्पताल के डॉ. विशाल रस्तोगी और एम्स के डॉ. संदीप मिश्रा ने हार्ट फेल्यर रोगियों को सहायता देने के उद्देश्य से लॉन्च किया है। यह ग्रुप हार्ट फेल्यर को मैनेज करने और भारत में इसके इलाज के विकल्पों की जानकारी देगा।
हार्ट फेल्यर के क्षेत्र में रिसर्च की सहायता से बीमारी को बेहतर तरीके से मैनेज करने और इलाज के प्रोटोकॉल को व्यवहार में लाना सुनिश्चित करेगा और उच्च मृत्युदर व हार्ट फेल्यर को तत्काल प्राथमिकता देने की जरूरत पर विशेष ध्यान देगा।
हाल ही में हुए इंटर-सीएचएफ अध्ययन के अनुसार भारत में हार्ट फेल्यर से ग्रस्त रोगियों का मृत्युदर बहुत ज्यादा है और बीमारी की पहचान होने के एक साल के भीतर ही करीब 23 फीसदी रोगियों की मृत्यु हो जाती है। इस अध्ययन से यह भी पता चला कि अमेरिका व यूरोप के हार्ट फेल्यर रोगियों के मुकाबले भारत के इस बीमारी से पीड़ित रोगी 10 साल ज्यादा युवा है। भारत में औसतन मृत्यु 59 साल है।
पेशंटस यूनाइटेड फॉर हार्ट फेल्यर फाउंडेशन के निदेशक और फोर्टिस एस्कोर्ट अस्पताल के एडवांसड हार्ट फेल्यर प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. विशाल रस्तोगी ने कहा, भारत में करीब एक करोड़ लोग हार्ट फेल्यर के मरीज हैं और अगले कुछ सालों में यह बोझ लगातार बढ़ने की उम्मीद है। भारत में हार्ट फेल्यर की उच्च मृत्युदर चिंता का विषय है। पेशंटस यूनाइटेड फॉर हार्ट फेल्यर फांउडेशन हार्ट फेल्यर को प्राथमिकता देने की दिशा में काम करेगी और बीमारी को मैनेज करने का रोडमैप तैयार करेगी।
वहीं दिल्ली के एम्स अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. संदीप मिश्रा ने कहा, हार्ट फेल्यर की जल्दी पहचान करना ही इसे मैनेज करने का शुरुआती उपाय है। इसलिए रोगियों व उनके परिवार के सदस्यों को सावधानी से बीमारी के लक्षणों की पहचान करना महत्वपूर्ण है और डॉक्टरों व अस्पतालों के लिए शुरुआती इलाज देना बहुत जरूरी है।