बिहार : जद (यू) के सामने जोकीहाट सीट बचाने की चुनौती
अररिया, 26 मई (आईएएनएस)| बिहार में जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में मुख्य मुकाबला राजद और जद (यू) के बीच माना जा रहा है। इस सीट पर जद (यू) को जहां अपनी अपनी सीट बचाने की चुनौती है, वहीं राजद के लिए दिवंगत नेता तस्लीमुद्दीन के गढ़ को बचाने की चुनौती है।
इस सीट पर 28 मई को मतदान है। बिहार में सत्ताधारी जनता दल (युनाइटेड) के विधायक सरफराज आलम ने इस सीट से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया था और उनके राजद के टिकट पर अररिया के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।
जोकीहाट विधानसभा से कुल नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों में ही नजर आ रहा है। इस सीट पर पिछले चार चुनावों से जद (यू) के प्रत्याशी विजयी होते आ रहे हैं, लेकिन यहां राजद के वरिष्ठ नेता तस्लीमुद्दीन का मजबूत आधार रहा है। तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद खाली हुई अररिया सीट पर सरफराज के सांसद बन जाने के बाद जोकीहाट सीट खाली हो गई थी।
राजद ने तस्लीमुद्दीन के छोटे पुत्र शाहनवाज आलम को यहां से प्रत्याशी बनाया है, जबकि उनके सामने जद (यू) ने मुर्शीद आलम को उतारकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है।
जोकीहाट पर तस्लीमुद्दीन परिवार का प्रारंभ से ही दबदबा रहा है। तस्लीमुद्दीन और उनके बेटे अब तक नौ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ऐसे में विरोधियों के लिए इस सीट पर सेंध लगाना आसान नहीं माना जा रहा है।
तस्लीमुद्दीन के गांव सिसौना के रहने वाले वजूद आलम महागठबंधन छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में जाने के फैसले से नीतीश कुमार से खासे नाराज हैं। वे कहते हैं कि नीतीश को आखिर क्या जरूरत थी कि वे पाला बदलें। सरकार ठीक ढंग से चल रही थी।
जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में 70 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम समुदाय से आते हैं। इस विधानसभा सीट को अपने पक्ष में करने के लिए नीतीश और राजद के तेजस्वी यादव दोनों ने जनसभा कर मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास किया है।
नीतीश ने जिस उदाहाट क्षेत्र में जनसभा को संबोधित किया, वहां के रहने वाले और इस क्षेत्र की राजनीति को नजदीक से देखने वाले मोहम्मद अफरोज कहते हैं कि नीतीश के लिए यह सीट बचा पाना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि जद (यू) ने ऐसे व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाया है, जिस पर मूर्ति चोरी से लेकर कई तरह के संगीन आरोप हैं। जद (यू) के कार्यकर्ता भी हताश दिख रहे हैं।
हालांकि वे यह भी कहते हैं, नीतीश अपनी जनसभा में विकास की बातकर लोगों को आकर्षित करने का भरसक प्रयास किया। इस क्षेत्र के लोग भी नीतीश के विकास को नहीं नकार रहे हैं, परंतु प्रत्याशी को लेकर यहां के लोग नाराज हैं।
इधर, राजद और जद (यू) के प्रत्याशियों के बीच पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के गौसुल आजम मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं।
जानकार कहते हैं कि तस्लीमुद्दीन की मौत के बाद उनके पुत्र ने विरासत की राजनीति संभालते हुए अररिया संसदीय सीट पर राजद के टिकट पर जीत दर्ज की। इस संसदीय सीट के अंदर शामिल जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में सरफराज को मिले सर्वाधिक वोट को देखते हुए जद (यू) के लिए जंग आसान नहीं है।
उल्लेखनीय है कि नीतीश के महागठबंधन से अलग होने के बाद इस सीट पर नीतीश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।