फीफा विश्व कप : नए कोच के साथ कहां तक पहुंचेगा सऊदी अरब
नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)| वर्ष 2006 के बाद से पहली बार फीफा विश्व कप में हिस्सा ले रही सऊदी अरब की टीम पिछले एक साल में तीन कोच बदल चुकी है और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नए कोच जुआन एंटोनियो पिज्जी के मार्गदर्शन में टूर्नामेंट में टीम कहां तक पहुंच पाती है।
विश्व रैंकिंग में 67वें नंबर पर काबिज कप्तान ओसामा हवसावी के नेतृत्व वाली सऊदी अरब 2006 के बाद से पहली बार फीफा विश्व कप में भाग ले रही है। सऊदी अरब ने फीफा विश्व कप में पहली बार वर्ष 1994 में हिस्सा लिया था जहां वह अंतिम-16 तक पहुंची थी। अमेरिका में हुए उस विश्व कप में सऊदी अरब को स्वीडन के हाथों 1-3 से हार का सामना करना पड़ा था।
इसके बाद वह 1998, 2002 और 2006 में ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पाई जबकि 2010 और 2014 में वह विश्व कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई। लेकिन इस बार उसने एएफसी क्वालीफाइंग में जापान के बाद दूसरे नंबर पर रहकर विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया है।
विश्व कप में सऊदी अरब को मेजबान रूस, मिस्र और उरुग्वे के साथ ग्रुप ए में रखा गया जहां वह मॉस्को में मेजबान देश के साथ अपना पहला मैच खेलगा। टीम को इसके बाद फिर 20 जून को उरुग्वे और 25 जून को मिस्र के खिलाफ मुकाबले में उतरना है।
पिज्जी की टीम इस समय ज्यूरिख में है जहां वह तीन सप्ताह के अभ्यास शिविर में विश्व कप की तैयारियों के लिए अपना पसीना बहा रही है। टीम विश्व कप के तैयारियों के लिहाज से पांच अभ्यास शिविरों में हिस्सा लेगी और पांच से अधिक दोस्ताना मैच खेलेगी। इनमें से अधिकतर अपने से ऊंची रैंकिंग वाली टीमों के खिलाफ हैं।
सऊदी अरब विश्व कप की तैयारियों को लेकर कितने सतर्क हैं, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सऊदी अरब फुटबाल के अध्यक्ष अदिल एज्जत पहले ही खिलाड़ियों को सुझाव दे चुके हैं कि रमजान के महीने में यदि वे रोजा रख सकते हैं तो ही रखें। उन्होंने कहा है कि रोजा रखने को लेकर खिलाड़ियों पर कोई दबाव नहीं है और वे तैयारियों पर अपना ध्यान दें।
रूस में विश्व कप का 21वां संस्करण ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब रमजान का महीना चल रहा है और इस बार इसमें सात मुस्लिम राष्ट्र हिस्सा ले रहे हैं। इनमें खुद सऊदी अरब, मिस्र, ईरान, मोरक्को, ट्यूनिशिया, सेनेगल और नाइजीरिया शामिल हैं।
सऊदी अरब के पास याहया अल शेहरी और स्ट्राइकर मोहम्मद अल सहलावी के रूप में ऐसे खिलाड़ी मौजूद हैं जो किसी भी टीम को टक्कर दे सकते हैं। अल सहलावी क्वालीफाइंग में संयुक्त रूप से शीर्ष स्कोरर रहे थे। उनका तेज किक और मूवमेंट उन्हें अपने देश का स्टार खिलाड़ी बनाता है। इसके अलावा सलीम अल दवसारी और फहद अल मुवलाद से भी टीम को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद होगी।
अनुभव की कमी टीम की सबसे बड़ी कमजोरी है। सऊदी अरब 12 साल बाद टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही है और उसके पास ऐसे खिलाड़ी नहीं हैं जिनके पास विश्व कप में ख्ेालने का अनुभव हो। कोंटिनेन्टल टूर्नामेंट में टीम का हालिया प्रदर्शन और 2011 तथा 2015 के एशिया कप में खराब प्रदर्शन प्रशंसकों के लिए चिंता का विषय है।