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सरकार उत्पाद शुल्क घटाए, वाहन ईंधन को जीएसटी के अधीन लाए : उद्योग चैंबर्स

नई दिल्ली, 21 मई (आईएएनएस)| दिल्ली में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अबतक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। ऐसे में उद्योग चैंबर्स फिक्की और एसोचैम ने सोमवार को सरकार से तुरंत उत्पाद शुल्क घटाने की अपील की, साथ ही वाहन ईंधन को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का भी आग्रह किया।

डायनेमिक मूल्य प्रणाली के तहत दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल की कीमत 76.57 रुपये की नई ऊंचाई पर पहुंच गई, जबकि एक दिन पहले ही पेट्रोल की कीमत अबतक के सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच चुकी थी। पिछली बार पेट्रोल की सबसे ऊंची कीमत 2013 में 14 सितंबर को 76.06 रुपये थी।

राष्ट्रीय राजधानी में डीजल की कीमत भी उच्चस्तर का रोज नया रिकार्ड बना रही है और सोमवार को इसकी कीमत 67.57 रुपये प्रति लीटर थी।

तेल कीमतों में हो रही वृद्धि पर पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान ने रविवार को कहा कि सरकार ईंधन की बढ़ती कीमतों से चिंतित है और इसे रोकने के उपाय तलाश रही है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही कुछ नतीजा निकलेगा।

फिक्की ने यहां एक बयान में कहा, ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लौट रही है, तेल की बढ़ती कीमतों से देश की आर्थिक रफ्तार को धक्का लगेगा।

फिक्की के अध्यक्ष रशेश शाह ने कहा, पिछले कुछ सालों से तेल की कीमतों में गिरावट से अर्थव्यवस्था की हालत सुधरी है। अब कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है तो महंगाई का खतरा बढ़ गया है। साथ ही रुपया भी गिर रहा है, जिससे व्यापार घाटा भी बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, इससे मौद्रिक नीति में महंगाई रोकने पर ध्यान दिया जाएगा और ब्याज दरें कम नहीं होंगी, जिससे निजी निवेश को धक्का लगेगा।

एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने से ग्राहकों को तात्कालिक राहत मिलेगी। लेकिन इसका स्थायी समाधान परिवहन ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने से ही निकलेगा। ऐसा तभी होगा जब केंद्र और राज्य सरकारें तेल से मिलने वाले कर पर निर्भरता घटाएं।

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