IANS

मौसम की बेरुखी से आम को नुकसान

नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)| पिछले दिनों देश के कई हिस्सों में आई तेज आंधी से उत्तर प्रदेश में आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। प्रदेश में तकरीबन 20-25 लाख टन आम खराब होने का अनुमान है।

उत्पादकों के मुताबिक, आम जब पकने की अवस्था में पहुंच चुका था, तब मौसम की बेरुखी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इससे खाड़ी देशों को उत्तर प्रदेश के विभिन्न वेरायटी के आम निर्यात करने की केंद्र सरकार की योजना को भी पलीता लग गया है।

मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट इंसराम अली ने आईएएनएस को बताया, हमें किसानों से रिपोर्ट मिल रही है कि पिछले दिनों हुई भारी ओलावृष्टि से इस साल औसतन 50-60 फीसदी फल पेड़ों से गिर गए हैं। हम अभी स्थिति का जायजा ले रहे हैं, लेकिन पैदावार करीब 50 फीसदी घट सकती है।

उत्तर प्रदेश वानिकी विभाग के अनुसार, प्रदेश में आम की सालाना पैदावार 40 से 50 लाख टन होती है।

हालांकि वानिकी निदेशक आर.पी. सिंह ने आईएएनएस को बताया कि आगरा के आम बगीचे बुरी तरह तहस-नहस हो गए हैं, लेकिन अन्य जिलों में स्थिति उतनी गंभीर नहीं है।

सिंह ने बताया, आगरा में 33 फीसदी क्षेत्र में क्षति है और प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। लखनऊ जिले के मलीहाबाद में पांच से सात फीसदी फसल खराब है। हालांकि उन्होंने के कहा कि सही तस्वीर स्थिति का जायजा लेने के बाद ही सामने आएगी। मगर इतना तय है कि पैदावार पिछले साल के मुकाबले कम रहेगी।

लखनऊ स्थित केंद्रीय उष्ण कटिबंधीय वानिकी संस्थान के निदेशक शैलेंद्र राजन ने कहा कि जहां ओलावृष्टि हुई है, वहां ज्यादा क्षति होगी।

उन्होंने कहा, नुकसान के बारे में ऐसे बताना कठिन है, क्योंकि मौसम की बेरुखी का असर हर इलाके में एक जैसा नहीं है। लेकिन इतना तय है कि जिस इलाके में ओलावृष्टि हुई है वहां ज्यादा क्षति होगी।

आम की फसल के विशेषज्ञ आर.पी. श्रीवास्तव ने कहा कि फल पकने की अवस्था में था, इसलिए ज्यादा नुकसान हुआ। अगर कुछ दिन पहले ओलावृष्टि होती तो इतना नुकसान नहीं होता।

प्रदेश में सात मई को आई धूलभरी तेज आंधी, ओलावृष्टि और आसमानी बिजली गिरने से 100 से ज्यादा लोगों की जानें गईं।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से जारी प्रथम अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक, देश में इस साल 207 लाख टन आम का उत्पादन हो सकता है, जबकि पिछले साल 2016-17 में 195 लाख टन उत्पादन हुआ था।

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