गरीब छात्रों की याचिका पर केंद्र, दिल्ली से जवाब तलब
नई दिल्ली, 15 मई (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को निजी स्कूलों से कक्षा आठ पास करने वाले गरीब परिवारों के छात्रों को अपने वरिष्ठ माध्यमिक स्तर की शिक्षा सुनिश्चित रूप से पूरी करने के लिए कानून में बदलाव की मांग करने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी.हरिशंकर ने केंद्र व दिल्ली सरकार से वकील अशोक अग्रवाल के माध्यम से नागरिक अधिकार समूह सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। अग्रवाल ने अपनी याचिका में बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के विस्तारित धारा 12 (1)(सी) पर कक्षा आठ से ऊपर 12 तक के लिए निर्देश देने की मांग की।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर तय कर दी।
याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि इससे कक्षा आठ में उत्तीर्ण होने के बाद कुछ वर्गो के छात्रों को उत्पीड़न, अध्ययन में बाधा से बचने में मदद मिलेगी और उन्हें बुनियादी शिक्षा पूरी करने में मदद मिलेगी।
याचिका में कहा गया है, कक्षा आठ के बाद, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) और अन्य वंचित समूहों के छात्रों को विद्यालय के अधिकारियों ने स्कूल छोड़ने के लिए कहा है, क्योंकि वे कक्षा नौ से शुल्क देने में असमर्थ हैं।
याचिका में कहा गया है कि ऐसे छात्रों के पास सिर्फ सरकारी स्कूलों में जाने का विकल्प रहता है।
याचिका में कहा गया है, चूंकि सरकारी स्कूल हिंदी-माध्यम से हैं, इसलिए यह न केवल छात्रों के हितों के प्रति अत्यधिक प्रतिकूल होगा, बल्कि एक बिना सहायता प्राप्त निजी स्कूल में मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य को भी विफल करेगा।
इसमें कहा गया है, उनके माता-पिता कक्षा नौ के बाद से बिना सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में भारी शुल्क का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं।
पीआईएल में यह भी तर्क दिया है कि निर्देश के विभिन्न माध्यमों के अलावा निजी व सरकारी स्कूलों के शिक्षा के माहौल में भी अंतर है।