IANS

मप्र : जन-संगठन चुनाव में चुप नहीं रहेंगे

ओरछा (टीकमगढ़), 15 मई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में आगामी विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान जन-संगठन खास भूमिका निभाने की तैयारी में हैं। वह चुनाव से पहले तमाम राजनीति दलों पर अपने घोषणापत्र में जनता और प्रकृति से जुड़े मुद्दों को शामिल करने और सत्ता में आने पर उन वादों को पूरा करने के लिए दबाव बनाएंगे।

बलिदानी स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के अज्ञातवास स्थल ओरछा के सातार नदी के तट पर दो दिवसीय चले जन-आंदोलन 2018 सम्मेलन में पहुंचे वक्ताओं ने कहा कि जन संगठनों को सिर्फ आंदोलन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि राजनीतिक दलों के युवाओं को अपने से जोड़कर दलों पर दबाव बनाना चाहिए।

इस सम्मेलन में सामाजिक कार्यकर्ता अमित त्रिपाठी ने कहा कि जन-आंदोलन के तहत युवाओं का दल बनाया जाना चाहिए, जिसमें सभी राजनीतिक दलों से जुड़े युवाओं को साथ में जोड़ना चाहिए। ऐसा होने पर युवाओं की आवाज हर राजनीतिक दलों को सुननी होगी। साथ ही जनसंगठन की ओर युवा भी आकर्षित होंगे।

सवरेदय मंडल के मंत्री मनीष राजपूत ने साफ किया कि जन-संगठनों को अपनी ताकत का अहसास राजनीतिक दलों को कराना होगा, ऐसा होने पर ही राजनीतिक दल के नेता आंदोलनों की क्षमता को समझ सकेंगे और मजबूर होकर जनता और प्रकृति के मुद्दों को चुनावी घोषणापत्र में स्थान देंगे।

जल-जन जोड़ो आंदोलन के संयोजक संजय सिंह ने अपनी राय रखते हुए कहा कि जन-संगठनों का राजनीतिक दलों पर दबाव जरूरी है। जब तक दलों और सरकारों पर दबाव नहीं बनेगा, तब तक जनता की समस्याओं को पूरा करना आसान नहीं है। इसके लिए आगामी चुनाव से पहले ही, रणनीति बनानी चाहिए।

जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने भी माना कि वर्तमान दौर की राजनीति में झूठ और लूट का दौर चल रहा है, इस पर अंकुश लगाने के लिए जन-संगठनों को चुनाव से पहले ही रणनीति बनाना होगी। जो विचार निकलकर आए हैं, उन पर गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है। ऐसा होने पर ही जन-संगठनों की ताकत को राजनीतिक दल समझ सकेंगे।

सतना जिले में एकता परिषद के लिए आदिवासियों के बीच काम करने वाले संतोष सिंह ने कहा कि सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों में राजनीतिक चेतना भी जरूरी है। वहीं राजनीतिक दलों को आमजन की समस्याओं से अवगत कराने और दबाव बनाने की मुहिम जरूरी है। ऐसा होने पर ही राजनीतिक दल आमजन की समस्याएं हल करना जरूरी समझेंगे।

दो दिनों तक चले विचार मंथन के बाद पी.वी. राजगोपाल ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधियों के सुझावों के आधार पर कहा कि कुल 16 सुझाव आए हैं। इससे स्पष्ट है कि जन-संगठन चुनाव में चुप नहीं रहेंगे, अपनी रणनीति बनाएंगे। पार्टियों के घोषणापत्र में जनता और प्रकृति के मुद्दों को शामिल कराया जाएगा और जो पार्टी सत्ता में आएगी, उससे उन वादों को पूरा कराया जाएगा।

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