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‘होम स्टे’ योजना की मदद कम किया जा रहा पहाड़ों पर पलायन

कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने शुरू की अच्छी पहल

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने सरकार की ‘होम स्टे’ योजना से उत्तराखंड से पलायन रोकने व सीमा सुरक्षा की समस्या का समाधान करने के लिए एक सराहनीय पहल शुरू की है।

पहाड़ी गांवों से पलायन रोकने के लिए केएमवीएन ने पिथौरागढ़ जिले में होम स्टे योजना शुरू की है। इससे उन्होंने हिमालय से सटे गांवों के लोगों को रोजगार देने का सराहनीय प्रयास किया है ताकि पलायन रोका जा सके। केएमवीएन के तत्वावधान में चलाई जा रही प्रदेश सरकार की होम स्टे योजना से अब पलायन की मार झेल रहे ग्रामीणों को घर पर रोजगार मिल गया है। वहीं इन घरों के जरिए शहरी चकाचौंध से दूर भागकर शांति की तलाश में निकल रहे सैलानियों को भी मन चाही मुराद मिल गई है।

धारचूला के कुटी गांव में 15 मकानों को खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। ( प्रतीकात्मक फोटो – प्रोजेक्ट फ्यूल)

केएमवीएन के मुताबिक कुमाऊं मंडल में लोगों का पलायन रोकने के लिए 40 घरों को दारमा, दांतू, नंगलिंग और दुगतु गांव में विकसित किया गया है। इसके अलावा 20 घर नाबी में तैयार हैं। धारचूला के कुटी गांव में 15 मकानों को खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। निगम की ओर से रजाई-गद्दा, बेड देने के साथ ही उनके घरों का पुनर्निर्माण भी किया गया है। इस योजना में 500 घरों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 87 घरों का पंजीकरण हो चुका है, इनका जिक्र केएमवीएन की वेबसाइट पर है। इससे जुड़े ग्रामीणों को प्रशिक्षण के लिए सिक्किम और पोखरा नेपाल भेजा जाएगा।

‘होम स्टे’ योजना के तहत सैलानी अब चीन-तिब्बत सीमा से लगे दारमा और ब्यास घाटियों में जाकर ग्रामीणों के साथ उनके घरों में रहकर वहां के जनजीवन का अनुभव और रोमांच ले पाएंगे। इससे पहाड़ी गांवों में रोजगार की कमी से पलायन व बेरोजगारी की समस्या कम होगी सकती है।

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