देशभक्ति, वीरता, त्याग और समर्पण की पहचान हैं महाराणा प्रताप
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी
महान हिंदू शासक महाराणा प्रताप की जयंती के मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देश के लिए उनके बलिदान को यादकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर सीएम ने अपने ट्विटर एकाउंट पर लोगों को बताया, ”वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की जयंती पर उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। महाराणा जी का सम्पूर्ण जीवन देशभक्ति, वीरता, त्याग और समर्पण की सीख देता है।”
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की जयंती पर उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। महाराणा जी का सम्पूर्ण जीवन देशभक्ति, वीरता, त्याग और समर्पण की सीख देता है। pic.twitter.com/yqmdpSbWmn
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) May 9, 2018
महाराणा प्रताप – एक परिचय
महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही मुग़ल सेना के पसीने छूट जाते थे। एक ऐसा राजा जो कभी किसी के आगे नही झुका। जिसकी वीरता की कहानी सदियों के बाद भी लोगों को याद है। अकबर भले एक महान योद्धा था लेकिन महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही वो भी थर-थर कांपने लगता था।
18 जून 1576 में मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के बीच भीषण युद्ध हुआ था। इस लड़ाई में न अकबर जीता और न महाराणा प्रताप हारे। कई दौर में यह युद्ध चला। कहा जाता है कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप की वीरता और युद्ध-कौशल को देखकर अकबर दंग रह गया था। बताया जाता है कि जब महाराणा प्रताप की मौत हुई थी तो अकबर के भी आंसू निकल आये थे। अकबर महाराणा प्रताप को एक महान योद्धा मानता था। महाराणा प्रताप ही थे जो अकबर के आगे कभी नहीं झुके।
आइए आज हम आपको महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बाते बताते हैं :
1. हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था। अकबर और राणा के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था।
2. ऐसा माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे। मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी।
3. महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था।
4. आपको बता दें हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक। इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे।
5. कहते हैं कि अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए 6 शान्ति दूतों को भेजा था, जिससे युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म किया जा सके, लेकिन महाराणा प्रताप ने यह कहते हुए हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया कि राजपूत योद्धा यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
6. महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल 11 शादियां की थीं। कहा जाता है कि उन्होंने ये सभी शादियां राजनैतिक कारणों से की थीं।
7. महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था।
8. महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था। महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था।
9. बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था.आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है।