सिब्बल ने पूछा, किसने मामले को 5 न्यायाधीशों की पीठ को भेजा
नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)| कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने राज्य सभा सभापति एम.वेकैंया नायडू द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज किए जाने के खिलाफ याचिका को वापस ले लिया। कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने ऐसा याचिका को बिना उचित प्रक्रिया के पालन के पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने की वजह से किया।
उन्होंने कहा, हम जानना चाहते हैं कि किसने आदेश पारित किया कि हमारी याचिका की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की पीठ करेगी। आम तौर पर इस तरह पीठ को कोई मामला न्यायिक आदेश से भेजा जाता है।
कपिल सिब्बल ने कांग्रेस मुख्यालय पर मीडिया से कहा, लेकिन, यहां कोई न्यायिक आदेश नहीं है। इसलिए, सवाल है कि किसने आदेश पारित किया।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का नियम प्रधान न्यायाधीश को मामले को पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजने का प्रशासनिक आदेश देने की इजाजत नहीं देता।
संविधान पीठ में शीर्ष अदालत के पांच वरिष्ठतम न्यायधीशों को शामिल नहीं किया गया। इन वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से चार ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है और इस पीठ को मंगलवार की सुनवाई के लिए सोमवार देर रात को गठित किया गया।
उन्होंने कहा, अगर इस तरह का आदेश प्रधान न्यायाधीश की तरफ से पारित किया गया है, हालांकि याचिका उनके खुद के महाभियोग से जुड़ी है तो हमें आदेश की एक प्रति दी जानी चाहिए, क्योंकि हम इसके हकदार हैं, जिससे कि हम इसका अध्ययन कर सके।
उन्होंने कहा, पीठ ने हमारे सवाल का जवाब नहीं दिया और हमसे मामले की मेरिट पर बहस करने को कहा। हमने उनसे कहा कि कि आदेश की हमें प्रति नहीं मिलने पर हम मामले पर बहस नहीं कर सकते। इसलिए हमने याचिका को वापस ले लिया।
कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा व अमी याज्ञनिक ने सोमवार को एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू द्वारा महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करना राजनीति से प्रेरित था।
सिब्बल ने यह जानना चाहा कि क्या देश के किसी भी संवैधानिक प्राधिकरण का कोई आदेश ऐसा हो सकता है जिसे जिसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
कांग्रेस के दोनों सांसदों की तरफ से पेश होते हुए सिब्बल ने कहा, हमारी याचिका में यदि श्रीमान न्यायाधीश को लगता है कि राज्यसभा सभापति का निर्णय ऐसा है जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती है, तो उन्हें हमें बताना चाहिए।
सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस का किसी भी न्यायाधीश से निजी विवाद नहीं है, लेकिन न्यायपालिका की ‘गरिमा और आजादी’ के लिए उन्होंने मामले को उठाया।