दोहरे शतक के जश्न में डूबी ‘निमिकी मुखिया’, नमकीन कहलाने से नहीं है परहेज
द्वारकेश बर्मन
विशेष संवाददाता
मुंबई। स्टार भारत चैनल के प्रसिद्ध सीरियल ‘निमिकी मुखिया’ के 200 एपिसोड पूरे हो चुके हैं। इस मौके पर सीरियल के सेट पर और कलाकारों में गजब की खुशी देखी गई।
‘बालिका बधू’, ‘न आना इस देश में लाडो’ जैसे संदेशपरक धारावाहिकों के बाद नारी सशक्तिकरण पर आधारित इस धारावाहिक ने अपने अलग कंटेट के कारण सबका ध्यान खींचा है। ‘निमिकी मुखिया’ के 200 एपीसोड पूरे होने के उपलक्ष्य में सेट पर जश्न के दौरान पूरी स्टार कास्ट मौजूद रही। जिसमें प्रमुख तौर पर निमकी मुखिया (भूमिका गुरंग), अभिमन्यु राय बीडीओ (इंद्रनील सेनगुप्ता), बबलू जी (अभिषेक शर्मा), अनारो जी (गरिमा विक्रांत सिंह), बड़ी बहू रेखा (शिवानी चक्रवर्ती), तेतर सिंह(ऋषि खुराना), तेतर सिंह की मां (रीता भादुड़ी), नहर सिंह (अशरफ करीम) मौजूद थे। इस दौरान पूरी स्टार कास्ट के साथ ही सीरियल का पूरा क्रू मौज-मस्ती करता नजर आया।
‘निमिकी मुखिया’ सीरियल में निमकी का रोल एक्ट्रेस भूमिका गुरंग ने बखूबी निभाया है। सीरियल में उन्होंने एक बेहद चुलबुली और बातूनी लडक़ी के किरदार में रंग भरा है। इस खास मौके पर भूमिका से बातचीत भी की गई।
बेबाक भूमिका से जब ‘निमकी’ का अर्थ पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका मतलब नमकीन होता है और मुझे नमकीन कहलाने में कोई ऐतराज नहीं है। भूमिका ने कहा कि चाहे लड़कियों की पढ़ाई की बात हो या महिलाओं के राजनीति में आने की या फिर समानता की, इस धारावाहिक के जरिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने में मदद मिलेगी।
मूलत: शिमला की रहने वालीं, दिल्ली में जन्मीं और पढ़ी-लिखी भूमिका के पिता मुंबई में कारोबारी हैं। भूमिका ने कभी थिएटर नहीं किया। बावजूद इसके उन्होंने 16 साल की उम्र में ही तय कर लिया था कि टीवी के लिए काम करना है। दो-तीन साल लगातार ऑडिशन देने वाली भूमिका ने ‘निमकी मुखिया’ में पिछले साल काम शुरू किया।
चुनौतीपूर्ण था किरदार
भूमिका कहती हैं कि निमकी का किरदार निभाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। बिहार की ठेठ लडक़ी के किरदार के लिए मुझे कई वर्कशाप अटेंड करनी पड़ीं। लगातार प्रैक्टिस की तब जाकर कहीं बिहारी टोन मेरे अंदर से बाहर आई। टीवी पर जब खुद को इस किरदार में देखा तो विश्वास ही नहीं हुआ। अब लगता है कि मेरी असली भाषा यही है। मुझे खुशी है कि लोगों को मेरी भाषा पसंद आ रही है। अब तो जब भी निमकी के किरदार में होती हूं तो भूल जाती हूं कि मैं कोई भूमिका हूं, इसलिए उसका जो पागलपन है और उसकी भाषा है वह मुझमें घुस जाती है।
भूमिका कहती हैं, ‘निमकी मुखिया’ में महिला सशक्तिकरण से लेकर स्वच्छता अभियान की भी झलक मिलेगी। हालांकि वह मानती हैं कि निमकी के चरित्र की तरह वह रियल लाइफ में ओवर कॉन्फिडेंट नहीं हैं। हालांकि सोशल लाइफ में इससे कहीं ज्यादा एक्टिव हैं।
यह पूछने पर कि क्या सीरियल और फिल्म के लिए ट्रेनिंग जरूरी है, उन्होंने हां में जवाब देते हुए कहा कि इसके बगैर आप अच्छे कलाकार नहीं बन सकते। संवाद में उतार-चढ़ाव और अंदाज बिना प्रशिक्षण लिए नहीं सीखा जा सकता है। अगर कोई पिता से कहे कि बेटे के अंदाज में बात करें तो यह तब तक संभव नहीं होगा, जब तक आप उस कैरेक्टर को अपने अंदर नहीं उतारेंगे। ये कैसे करना है, ट्रेनिंग से ही जाना जा सकता है।
काम कोई बड़ा छोटा नहीं होता
भूमिका से जब पूछा गया फेमस एक्टर नाना पाटेकर के साथ एक फिल्म में संक्षिप्त रोल करने के बाद उन्होंने टीवी की ओर रुख क्यों किया तो वह बोलीं कि काम तो काम होता है। काम न बड़ा होता है न छोटा, बस शुरुआत होनी चाहिए। वो उस वक्त की बात थी कि फिल्म की। यह इस वक्त की बात है कि ‘निमकी मुखिया’ से पहचान बनी है। इससे मैं काफी खुश हूं। इस धारावाहिक के कारण मेरी जिंदगी में भी कई बदलाव आए हैं। टीवी में काम करने की इच्छा पूरी हो गई है। आगे मौका मिलेगा तो फिल्में भी करूंगी।
छोटे-बड़े पर्दे पर किस्मत आजमाने की चाहत रखने वालों को उन्होंने संदेश दिया कि नए निर्माता-निर्देशक अब अलग नजरिए से नई कहानियां लिख रहे हैं। जाहिर है कि इसमें नए चेहरों के लिए गुंजाइश भी ज्यादा है। उनके लिए काम भी ज्यादा होगा और वे अधिक प्रभावी भी होंगे।