युवाओं को भाषा, साहित्य, शेरो-शायरी से रूबरू कराएगा ‘सोच के मोती’
नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)| पश्चिमी सभ्यता व कान फोडू संगीत पसंद करने वाले युवाओं को भाषा, साहित्य, शेरो-शायरी व गजल की विभिन्न गतिविधियों से रूबरू कराने के लिए गैर सरकारी संस्था साक्षी ने शायरी जगत के 10 दिग्गजों द्वारा बनाई गई गजलों के एलबम ‘सोच के मोती’ को कंपोज किया है।
इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त गायक शकील अहमद ने गाया है।
डॉ. मृदुला सतीश टंडन द्वारा निर्मित व प्रस्तुत ‘सोच के मोती’ एलबम की गजलों में आधुनिक दुनिया के शायरों की रचनाएं शामिल की गई हैं। इसमें दिवंगत निदा फाजली साहब व अन्य नौ दिग्गज गजल गायकों की गजलें युवा पीढ़ी को भी आकर्षित करेंगी। निदा फाजली साहब के साथ शामिल अन्य शायरों में फरहत शहजाद, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, प्रताप सोमवंशी, ममता किरण, अलीना इतरत, रईस सिद्दीकी, नाजिम नकवी, जीशान नियाजी, कुंवर रंजीत चौहान प्रमुख हैं।
डॉ. मृदुला टंडन ने कहा, सोच के मोती’ सार्थक कविता और गायकी का एक ऐसा अद्भुत संयोजन है जो श्रोताओं के बीच गजल शैली में बेंचमार्क को बेहतर बनाता है। एलबम के गीतों में श्रोताओं को भावनात्मक शब्दों में मानव भावनाओं का जीवंत अहसास मिलता है, जो कि सभी आयु वर्ग के श्रोताओं के दिलों को छूती है।
उन्होंने कहा, गजल गायक शकील अहमद की रचनाओं ने संगीत के साथ शब्दों को मिलाया और हमें गहरी अर्थपूर्ण भावनाओं और गुनगुना, अविस्मरणीय गजलों का एक गीतात्मक परिदृश्य प्रस्तुत किया है। हमें उम्मीद है कि हमारी विभिन्न गतिविधियों की तरह दर्शकों का साथ इस एलबम को भी मिलेगा और हम सार्थक संगीत व गजल के जादुई अवतार से श्रोताओं पर गहरा असर छोड़ने में कामयाब होंगे।