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‘हेल्थ फॉर ऑल’ मिशन में डिजिटल हेल्थ की प्रमुख भूमिका : नेटहेल्थ

नई दिल्ली, 29 अप्रैल (आईएएनएस)| नेशनल हेल्थ पॉलिसी और नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (एनएचपीएस) यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) के लक्ष्य को हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

आयुष्मान भारत दिवस 30 अप्रैल से एक दिन पहले हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेटहेल्थ) ने दोहराया कि वह सभी हितधारकों की भागीदारी बढ़ाने पर काम करेगा, और सभी के लिए स्वास्थ्य मिशन में डिजिटल हेल्थ की प्रमुख भूमिका होगी। नेटहेल्थ ने एक बयान में कहा, देशभर में 10 करोड़ परिवारों या 50 करोड़ हितग्राहियों के लिए प्रति परिवार पांच लाख रुपये बीमा का प्रावधान यूएचसी के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

नेटहेल्थ के महासचिव अंजन बोस ने कहा, 2017 में सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, एनएचपी-2017 की घोषणा की थी, जिसमें सभी के लिए गुणवत्तायुक्त और किफायती स्वास्थ्य सेवा पर प्रमुख ध्यान दिया गया था। सरकार जिस तरह यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) पर ध्यान दे रही है, उससे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के लिए कई अवसर आने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, सभी के लिए स्वास्थ्य लागू करने के लिए एनएचपीएस की सफलता में हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स, स्वास्थ्य बीमा कंपनियों, डायग्नोस्टिक्स, मेडटेक और अन्य स्टेकहोल्डर्स के योगदान को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.. नैटहेल्थ विभिन्न हितधारकों के बीच महत्वपूर्ण साझेदारी को सक्षम करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पहला हेल्थ और वेलनेस सेंटर भी शुरू किया गया है, जैसा कि सरकार ने हालिया बजट घोषणाओं में कहा था। पूरे देश में इस तरह के 1.5 लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाए जाने हैं।

नेटहेल्थ के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने कहा, हेल्थ पॉलिसी में डिजिटल हेल्थ को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए एक नियामक – नेशनल डिजिटल हेल्थ अथॉरिटी- की स्थापना की परिकल्पना की गई है। उम्मीद है कि एक कुशल और प्रभावी मास मेडिक्लेम योजना के लिए जल्द से जल्द इस अथॉरिटी की स्थापना की जाएगी। ताकि डिजिटल हेल्थ के लाभों का फायदा उठाया जा सके।

उन्होंने कहा, आयुष्मान भारत मिशन के हिस्से के रूप में, एनएचपीएस को हितधारकों के बीच मजबूत साझेदारी की आवश्यकता होगी, और इस सहयोगी भावना के साथ हमें अपने हेल्थकेयर इकोसिस्टम को मजबूत और अधिक समावेशी बनाने की स्थिति में होना आवश्यक है।

वर्तमान में, देश की आबादी का एक बहुत ही छोटा हिस्सा हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में आता है।

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