सीमा पर शांति चाहते हैं मोदी और शी
वुहान (चीन), 28 अप्रैल (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को भारत-चीन सीमा पर शांति बहाल रखने का संकल्प लिया और चीन के वुहान शहर में शनिवार को संपन्न हुई अनौपचारिक वार्ता में डोकलाम जैसे सैन्य गतिरोध की स्थिति को पैदा होने से रोकने के लिए अपनी-अपनी सेनाओं को मार्गदर्शन देंगे।
भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि मोदी और शी के बीच चली महत्वपूर्ण बैठकों से उन बहुत से गंभीर मुद्दों पर सकरात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिसने एशिया के दो पड़ोसी देशों के बीच बैचेनी बढ़ाई हुई है।
गोखले ने दो दिनों में मोदी और शी के बीच चली छह चरण वार्ता पर प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, दोनों नेताओं ने माना कि भारत-चीन सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण है और फैसला किया कि वे अपनी अपनी सेनाओं को संपर्क मजबूत करने और विश्वास व आपसी समझ बनाने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन जारी करेंगे।
उन्होंने सीमा इलाकों में हालात के प्रबंधन और बचाव के लिए वर्तमान संस्थागत तंत्र को मजबूत करने का फैसला किया है। गोखले ने कहा कि मोदी और शी का मानना है कि सीमा वार्ता पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों को निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य हल की तलाश करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करना होगा।
गोखले ने कहा, भारत और चीन ने अफगानिस्तान में एक संयुक्त आर्थिक परियोजना पर काम करने को लेकर सहमति जताई। इस कदम से बीजिंग के हमेशा के सहयोगी और नई दिल्ली के धुर विरोधी पाकिस्तान परेशान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के प्रमुखों के बीच कई दौर की बैठकों में आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन व अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे छाए रहे, जिनपर दोनों नेताओं का एकसमान नजरिया था।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने रणनीतिक व दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में भारत-चीन संबंधों की प्रगति की समीक्षा की।
उन्होंने बताया, वे इस बात को लेकर सहमत थे कि दोनों देश एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं, चिंताओं और आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से आपसी मतभेदों को दूर करने में सक्षम हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत-चीन सीमा क्षेत्र में अमन व शांति बनाए रखने की अहमियत पर बल दिया।
भारत के विदेश सचिव ने कहा, इसके लिए उन्होंने अपनी-अपनी सेना को सीमा मामलों के प्रबंधन में आपसी विश्वास बहाली के विभिन्न उपायों को अमल में लाने की दिशा में भरोसा व तालमेल बनाने के लिए एक-दूसरे से संवाद बढ़ाने का रणनीतिक निर्देश जारी किया।
उन्होंने बताया, दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सेना को दोनों पक्षों के बीच सहमति के आधार पर विश्वास बहाली के विभिन्न उपायों को शीघ्र अमल में लाने का निर्देश दिया। दोनों पक्षों के बीच सीमा क्षेत्रों की घटनाओं को रोकने के लिए आपसी व समान सुरक्षा के सिद्धांत को अमल में लाने, मौजूद संस्थागत व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने और सूचना साझा करने के तंत्र को लेकर सहमति बनी।
भारत और चीन के बीच काफी समय से सीमा विवाद एक गंभीर मुद्दा रहा है, जिसे लेकर 1962 में दोनों देशों में युद्ध भी हुआ और आपस में अविश्वास बना रहा है।
पिछले साल 2017 में भारत-चीन सीमा क्षेत्र में सिक्किम के डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना रहा है। अगस्त में बातचीत के बाद गतिरोध दूर हुआ था।
इस बीच भारत-चीन शिखर वार्ता के दौरान एक बड़ा फैसला अफगानिस्तान में भारत-चीन आर्थिक परियोजना को लेकर हुआ है, जिसपर दोनों देशों ने काम करने पर सहमति जताई है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रूखा संबंध रहा है और चीन उनके बीच अमन स्थापित करने में बिचौलिए की भूमिका निभाना चाहता है।
गोखले ने बताया कि द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बातचीत का अहम हिस्सा रहा। उन्होंने कहा, दोनों नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि व्यापार संतुलित व दीर्घकालिक होना चाहिए। हमें दोनों अर्थव्यवस्थाओं की पूरकता का लाभ उठाकर अपने व्यापार और निवेश को बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने बताया, इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने भी व्यापार को संतुलित करने की अहमियत का जिक्र किया और कहा कि चीन को कृषि जनित उत्पादों व औषधियों का निर्यात किया जा सकता है।
गोखले ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने माना कि आतंकवाद से उन्हें एक समान खतरे हैं और दोनों ने एक बार फिर इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने आतंकवाद से मुकाबला करने के मसले पर सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।